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चेन्नई:भारत में विवाह को देह मिलन नहीं आत्मिक मिलन माना: मुनि सुधाकर

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धर्म सभा में उमड़ा जनसैलाब

माधावरम्, चेन्नई : जैन तेरापंथ नगर के जय समवसरण, माधावरम् में आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि सुधाकरजी एवं मुनि नरेशकुमारजी के सानिध्य में तुम्हारे लिए दंपत्ति कार्यशाला का भव्य आयोजन तेरापंथ माधावरम ट्रस्ट के तत्वावधान किया गया।जिसमें 125 से अधिक दंपत्ति के साथ-साथ लगभग 800 से भी अधिक भाई बहनों ने भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ तेरापंथ नगर की महिलाओं ने मंगलाचरण से किया।
  मुनि श्री सुधाकर जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा
 1.भारतीय संस्कृति में विवाह एक आयोजन नहीं संस्कार है।

2.यह भोग की यात्रा नहीं, योग का शुभारंभ है।

3.भारत में विवाह को देह मिलन नहीं,आत्मिक मिलन करार दिया है। 

4.दांपत्य जीवन ही संपूर्ण विश्व की रीड़ है।

आज भागमभाग भरी जिंदगी में परिवार टूट रहे हैं, रिश्ते बिखरकर रहे हैं। उसे देखकर लगता है परिवार नाम की संस्था बचेगी या नहीं बचेगी,मगर शादी के समय दिए गए सात वचनों की आध्यात्मिक व्याख्या को समझने का प्रयास किया जाए तो भारतीय संस्कृति संस्कार के साथ-साथ परिवार को भी बचाया जा सकता है।
स्वस्थ परिवार ही स्वस्थ समाज एवं राष्ट्र का आधार होता है।
उसके लिए पति पत्नी के रिश्ते में आपसी समझ की डोर का मजबूत होना अनिवार्य है। रिश्तो को मधुर बनाने के लिए अभिमान की भावना को त्याग कर विवेक, चेतना को जागृत रखना चाहिए। अध्यात्म और संयम के छोटे छोटे प्रयोग को जीवन में उतारना चाहिए। 
मुनि श्री सुधाकर जी ने विवाह के समय सात वचन की आध्यात्मिक व्याख्या करते हुए, आगे कहा विवाह के समय हर दंपत्ति को अन्न, बल, धन, दुख, परिवार, मित्रता,एवं एकांत वाद पर ध्यान देना चाहिए।
मुनि नरेशकुमारजी ने सुंदर गीत का गायन किया। कार्यशाला का कुशल संचालन सुरेश रांका ने किया।

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