तीन बहनों के एकासण मासखमण तप का हुआ तपोभिनन्दन*
माधावरम्, चेन्नई। मुनिश्री सुधाकरकुमारजी के सान्निध्य में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट बोर्ड की आयोजना में जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में तपोभिनन्दन कार्यक्रम समायोजित हुआ।
मुनि श्री सुधाकरकुमारजी ने कहा कि "हमें आध्यात्मिक और सहज आनन्द की अनुभूति जगाने की कला सीखनी चाहिये। इसके बिना धार्मिक साधना और तपस्या भार बन जाती है। आनन्द ही जीवन है, यह आध्यात्मिक जीवन दर्शन का प्रमुख सूत्र है। हमें "सांस भीतर आनन्द भीतर, सांस बाहर तनाव बाहर का जागरुकता से अभ्यास करना चाहिये। जो व्यक्ति सहज प्रसन्न और संतुष्ट होता है, वह क्रोध, इर्ष्या, आवेश आदि नकारात्मक विचारों और प्रवृत्तियों से स्वतः दूर हो जाता है। आज के पारिवारिक जीवन में परस्पर तनाव और टकराव बहुत अधिक दिखाई दे रहा है। इसके साथ ही ईर्ष्या की मनोवृति का भी बहुत विस्तार हो रहा है। जिसके जीवन में सहज आनन्द का जागरण हो जाता है। वह इस प्रकार की अशुद्ध प्रवृत्तियों से अपने आप दूर हो जाता है तथा सबके प्रति मैत्री, समता और करुणा की वर्षा करता हैं। मुनिश्री ने तपस्विनी बहनों के तप के प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करते हुए कहा कि तप के साथ जप-ध्यान की साधना चलती रहें। कषायों का अल्पीकरण हो।
मुनिश्री नरेशकुमारजी ने कहा कि जीवन में अभिमान की अपेक्षा स्वाभिमान का विकास हो। अहम् साधना में बाधक बनता है। श्रीमती आशा रांका, श्रीमती बबीता रांका, सुश्री दिशा रांका के एकासण मासखमण पर तेरापंथ ट्रस्ट बोर्ड के प्रबंध न्यासी घीसूलालजी बोहरा और ट्रस्टियों ने स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया। श्रीमती आशा रांका, केशर रांका ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का कुशल संचालन सुरेश रांका ने किया। राजलदेसर निवासी, कोयंबटूर प्रवासी श्री सुरजमलजी घोसल का ट्रस्ट बोर्ड द्वारा सम्मान किया।