बंगलुरू।श्री जैन श्वोताम्वर तेरापंथ सभा गांधीनगर बैगलूरु के तत्वाधान मे महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री अर्हत् कुमारजी आदि ठाणा 3 के सान्निध्य मे पहली बार 1008 एकासन का महा अनुष्ठान का आयोजन हुआ।
मुनि श्री अर्हत् कुमार जी ने फरमाया कि जीवन को सुनहरी भोर की स्वर्णिम किरण के समान निखारने के लिए उसमे नूतन आभा के साथ नई ऊर्जा का संचार करने के लिए आत्मा के असली सौंदर्य को उजागर करने के लिए अनेक प्रकार के तपानुष्ठानों का सूत्र में वर्णन मिलता हैं।तप जीवन मे शांति व सिद्धि का द्वार खोलने के साथ आध्यात्मिक शक्ति से ओत: प्रोत कर आत्मा को नत्यता दिव्यता और मत्यता प्रदान करते है।सामुहिक तप संघाती कर्मों को प्रतनुं कर आत्मातेजस्विता को वृद्धिगत करता है।तप वह अलोकिक औषधि है जो आत्मा को स्वास्थ्य कर जीवन मे नव उर्मीया बिखेरती है। एकासन सामुहिक तप का एक प्रकार है।एकासन एक समय एक घण्टे मे होने वाला यह तप संयम की साधना का विलक्षण उपक्रम है।
सहयोगी संत मुनि भरत कुमार ने कहा सामुहिक तप करने से सामुहिक कर्मों की निर्जरा होती है। जब हमारे सामुहिक निर्जरा होती है तो साथ बंधे हुए कर्म जानकर भस्म हो जाते है।निर्जरा होने से आत्मा सुख शांति व आनंद को प्राप्त होती है। ऐसे अनुष्ठान समय समय पर होने से बैगलूरु मे नई उर्जा प्राप्त होती है।
बाल संत मुनि जयदीप कुमार जी ने प्रेरक उदबोधन दिया। कार्यक्रम संघ प्रभावक रहा । प्रेक्षा संगीत सुधा व सुश्री सुधा जैन ने शानदार गीतों का संगान किया। कार्यक्रम मे तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल जी दुगड ने स्वगत भाषण दिया। तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती स्वर्णमला पोखरना ने एकासन करने वाले को धन्यवाद दिया। संगठन मन्त्री श्री धर्मेश कोठरी ने आभार ज्ञापन किया। सामुहिक महायज्ञ एकासन में करीब 1400 जैन और जैनेतर लोगों ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। अनुष्ठान को सफल बनाने में तेरापंथ सभा , महिला मंडल, युवक परिषद व श्रावक श्राविकाओं का विशेष श्रम रहा। इस अवसर पर विशिष्ट जन, पदाधिकारीगण, कार्यकारणी सदस्य एवं श्रावक समाज की उपस्थिति रही।