भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) लागू करने का प्रावधान है, लेकिन संविधान लागू होने के बाद से अब तक किसी भी सरकार ने इसे पूर्ण रूप से लागू नहीं किया। हालांकि हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने देश में पहली बार UCC को लागू कर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब गुजरात सरकार भी इस दिशा में आगे बढ़ रही है और UCC को अमल में लाने की तैयारी कर रही है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों के लिए समान कानून व्यवस्था लागू करना है, भले ही उनका धर्म या जाति कोई भी हो। इस कानून के तहत विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, गोद लेने की प्रक्रिया आदि मामलों में एक समान कानून लागू करने का प्रावधान है।
वर्तमान में भारत में विभिन्न धर्मों और जातियों के लिए अलग-अलग व्यक्तिगत कानून लागू हैं, जिससे असमानता और भेदभाव की स्थिति उत्पन्न होती है। ऐसे में UCC लागू होने से समाज में समानता, एकरूपता और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार केंद्र सरकार को यह सलाह दी है कि समान नागरिक संहिता को जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।
के.एम. मुंशी ने संविधान निर्माण के समय कहा था कि समान नागरिक संहिता राष्ट्रीय एकता और आधुनिकता के लिए अनिवार्य है। संविधान निर्माताओं की भावना के अनुरूप, अब समय आ गया है कि सरकार संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत UCC को लागू कर देश में समानता सुनिश्चित करे।
वकील निलेश जे. पटेल, जो कि चीफ लीगल एड डिफेंस काउंसिल, जिला न्यायालय, व्यारा, तापी में कार्यरत हैं, ने कहा कि UCC लागू करने से देश में किसी विशेष धर्म या समुदाय को निशाना बनाने का उद्देश्य नहीं है, बल्कि यह कानून सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित करने के लिए है।
भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां सभी को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार है, लेकिन जब बात कानून और अधिकारों की हो तो सभी नागरिकों के लिए समान कानून होना जरूरी है। UCC लागू होने से न केवल भेदभाव समाप्त होगा बल्कि देश की एकता और अखंडता को भी मजबूती मिलेगी।