सूरत। हीरा उद्योग में चल रही भीषण मंदी के चलते लाखों रत्नकला कारीगर आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। हालात इतने खराब हो गए हैं कि अब तक 52 कारीगरों द्वारा आत्महत्या करने की खबरें सामने आई हैं। इस गंभीर परिस्थिति को देखते हुए डायमंड वर्कर यूनियन ने अपनी सात प्रमुख मांगों को लेकर मंगलवार को सूरत जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। साथ ही, 30 मार्च को हीरा उद्योग बंद करने का ऐलान किया गया।
डायमंड वर्कर यूनियन के वाइस प्रेसिडेंट भावेश टांक ने बताया कि पिछले काफी समय से हीरा उद्योग में मंदी का दौर चल रहा है, जिससे कारीगरों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। उनकी मांग है कि सरकार रत्नकला कारीगरों के लिए कल्याण बोर्ड का गठन करे, उन्हें आर्थिक पैकेज दिया जाए और महंगाई के अनुरूप वेतन में बढ़ोतरी हो।
उन्होंने बताया कि हीरा कारीगरों को अब तक पीएफ, बोनस, अवकाश, वेतन पर्ची और महंगाई भत्ता जैसे लाभ नहीं मिल रहे हैं। इसके अलावा, सरकार से मांग की गई कि हीरा उद्योग में मजदूर कानून का सख्ती से पालन करवाया जाए और कारीगरों पर लगाए जाने वाले व्यवसाय कर को खत्म किया जाए।
यूनियन ने यह भी मांग की कि आत्महत्या करने वाले कारीगरों के परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाए और उनके भविष्य के लिए रत्नदीप योजना जैसी विशेष योजना शुरू की जाए।
कारीगरों की समस्याओं को लेकर यूनियन ने अब तक कई बार प्रदर्शन किए हैं। 5 जनवरी 2025 को मीनाबाजार मानगढ़ चौक पर प्रतीक उपवास, 3 फरवरी को कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना और 2 मार्च को पदयात्रा रैली का आयोजन किया गया था, लेकिन प्रशासन ने किसी भी प्रदर्शन को मंजूरी नहीं दी।
भावेश टांक ने आरोप लगाया कि सरकार ने अब तक हीरा कारीगरों के हालात सुधारने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि सरकार जल्द से जल्द उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देती है, तो 30 मार्च 2025 को पूरे हीरा उद्योग को बंद करने का कड़ा फैसला लिया जाएगा।
हीरा उद्योग में आई इस भयंकर मंदी के कारण लाखों परिवार भुखमरी की कगार पर हैं और सरकार की निष्क्रियता के चलते कारीगरों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।