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रजोहरण कर्मो का हरण कर मोक्ष की राह आसान करेंगा -आचार्य जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी

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सेजल एवं चित्रा के नए जीवन का आगाज...

हजारों आंखों ने निहारा संयम जीवन का वृतांत

सेजल बोथरा बनी साध्वी साहित्यनिधिश्री म.सा., चित्रा पारख बनी साध्वी अर्पणनिधिश्री म.सा., 

बाड़मेर 09 मार्च। बाड़मेर नगर में महावीर वाटिका प्रांगण में पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति के तत्वावधान में खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वर म.सा. एवं अचलगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनकलाप्रभसूरीश्वर म.सा. की पावन निश्रा व बहिन म.सा. साध्वी डाॅ. विधुत्प्रभा श्रीजी म.सा., गुरू मां साध्वी कल्पलता श्रीजी म.सा. आदि ठाणा साधु-साध्वीवृन्द के पावन सानिध्य में पवनकुमार भंवरलाल आदमल बोथरा परिवार बाड़मेर सांचोर द्वारा व जैन श्री संघ बाड़मेर के तत्वाधान में बाड़मेर की लाडली मुमुक्षु सेजल बोथरा व बीकानेर की चित्रा पारख के त्रिदिवसीय दीक्षा महोत्सव के अंतिम दिवस रविवार को मुमुक्षु सेजल बोथरा व मुमुक्षु चित्रा पारख की हुई भागवती दीक्षा सम्पन्न हुई। दीक्षा के बाद नुतन साध्वी मुमुक्षु सेजल बोथरा का नाम साध्वी साहित्यनिधिश्री म.सा. व नुतन साध्वी चित्रा पारख का नाम साध्वी अर्पणनिधिश्री म.सा. के नाम की घोषणा आचार्यश्री ने की। पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति के संयोजक मांगीलाल बोथरा ने बताया कि को महावीर वाटिका में प्रातः शुभ मुहुर्त में मुमुक्षु चित्रा पारख व मुमुक्षु सेजल बोथरा को विधि-विधान के साथ मंत्रोच्चार के साथ दीक्षा प्रदान की गई। जैसे ही खरतरगच्छाधिपति ने दीक्षा के मंत्रोचार के साथ रजोहरण प्रदान किया वैसे ही चित्रा पारख व सेजल बोथरा खुशी से झुम उठी। कुछ समय पहले तक जो स्वर्ण आभूषण और मंहगे वस्त्रों के साथ नजर आ रही वो अब साध्वी अर्पणनिधिश्री म.सा. व साध्वी साहित्यनिधि श्री म.सा. श्वेत वस्त्रो में आई जो एक बारगी हजारों आखें नम हो गई। दोनो नुतन साध्वीयों साध्वी कल्पलता श्री म.सा. का शिष्यत्व स्वीकार किया। 

मुमुक्षु चित्रा पारख बनी साध्वी अर्पणनिधिश्री म.सा. व मुमुक्षु सेजल बोथरा बनी साध्वी साहित्यनिधिश्री म.सा.-मुमुक्षु चित्रा पारख सुपुत्री सुनिल पारख बीकानेर व मुमुक्षु सेजल बोथरा सुपुत्री पवनकुमार भंवरलाल बोथरा बाड़मेर-सांचोर का वर्षों से संजोया स्वप्न साकार होने जा रहा था। प्रातः 07.00 बजे परमात्मा की अंतिम बार अष्टप्रकारी पूजा, स्नात्र पूजा करने के बाद दीक्षा मण्डप में आई जहां दीक्षा प्रदाता आचार्यश्री ने दीक्षा का विधि विधान प्रारंभ किया। रजोहरण के बाद रंग बिरंगे वस्त्रों को त्याग करने का दृश्य जैसे मंच पर हुआ तो हजारों हाथों ने हाथ उठाकर संयम जीवन के जयकारों ने वातावरण को गुंजायमान कर दिया। पल भर में लाखों के जैवर त्यागकर जैसे ही श्वेत वस्त्रों के साथ दोनो नवदिक्षित साध्वीवर्या मंच पर आई तो एक बार माहौल में सन्नाटा छा गया। उसके बाद आचार्यश्री ने प्रथम वन्दना करवाई। 

ये भी हुए आयोजन-पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति व लाभार्थी परिवार पवनकुमार भंवरलाल आदमल बोथरा परिवार बाड़मेर-सांचोर ने दीक्षा महोत्सव में सहयोग करने वाले सहयोगियों का बहुमान अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर कई हस्तियों व अतिथियों ने शिरकत की। बोथरा ने बताया कि रात्रि में भक्तिभावना में विश्व विख्यात संगीत सम्राट गौरव मालू, भाविक शाह, शासन शाह ने भजनो की प्रस्तुतियां दी और पाण्डाल में उपस्थित जनसमुह को बांधे रखा। कार्यक्रम के दौरान खरतरगच्छाधिपति आचार्य भगवंत श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कई जन्मो के पुण्याउपार्जन से मिलता है संयम का पथ। बाड़मेर धर्माआराधना की तपस्या में हमेशा अग्रणी रहा है। बाड़मेर में जो धर्म का माहौल है वो अपने आप में बेमिसाल है। उन्होने कहा कि जैन समाज में दीक्षाओं में वृद्धि हो रही है। ये लाभ पुण्यकाल से ही मिलते है। दीक्षा महोत्सव को ऐतिहासिक बनाने व चार चांद लगाने के लिए सकल जैन श्री संघ बाड़मेर, आदिनाथ ट्रस्ट, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी, अचलगच्छ जैन श्री संघ, तेरापंथ समाज, स्थानकवासी समाज, दिगम्बर समाज, केयुप केन्द्रीय समिति बाड़मेर सहित कई कार्यकर्ताओं ने अपनी विशेष सेवाएं देते हुए ऐतिहासिक बनाया। दीक्षा के कार्यक्रम पूर्ण होने के बाद सकल जैन समाज के स्वामीवात्सल्य का लाभ जैन श्री संघ के तत्वावधान में पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति, पवनकुमार भंवरलाल आदमल बोथरा परिवार बाड़मेर-सांचोर द्वारा लिया गया। बोथरा परिवार द्वारा दीक्षा महोत्सव को सफल बनाने वाली संस्थाओं, समितियों व मण्डलों का आभार प्रकट करते हुए अभिनन्दन किया गया। 

हजारों आंखों ने निहारा दीक्षा महोत्सव-दीक्षा महोत्सव के लाभार्थी पवन बोथरा ने बताया कि बाड़मेर महावीर वाटिका प्रांगण में दीक्षा महोत्सव के अन्तिम दिन रविवार को जिस घड़ी जिस क्षण जिस ऐतिहासिक भव्य पल का इंतजार चतुर्विध संघ कर रहा है। वह योग विध्योत्सव् विरति व्रतोत्सव की शुभ ंखरबिन्द से करेमि भंते सामाइयं सव्वं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि और नंदीसूत्र वर्धमान विद्या मंत्रोच्चार के साथ आयोजन सम्पन्न हुआ। इसी दीक्षा महोत्सव के जैन श्री संघ के तत्वावधान में पंचम पद दीक्षा महोत्सव समिति द्वारा संघ स्वामीवात्सल्य का आयोजन किया गया। 
प्रेषक-कपिल मालू

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