सूरत। चेक बाउंस के एक मामले में कोर्ट ने आरोपी को निर्दोष करार देते हुए उसे बरी करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह फैसला इस आधार पर सुनाया कि शिकायतकर्ता यह साबित करने में असफल रहा कि आरोपी के साथ किया गया लेन-देन कानूनी रूप से वैध था।
मामले की जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता प्रेमचंद मांगीलाल दायमा (निवासी: विजय नगर-2, मगोब, सूरत) ने अपने मित्र दीपक कुमार डीड़वाणिया (निवासी: स्वामीनारायण नगर, विभाग-2, पूणा-बॉम्बे मार्केट रोड, सूरत) को 15 फरवरी 2020 को ₹75,000 नकद उधार दिए थे। इस उधारी की अदायगी के रूप में आरोपी ने 27 जून 2023 को शिकायतकर्ता को एक चेक सौंपा था। लेकिन बैंक द्वारा चेक बाउंस होने के बाद शिकायतकर्ता ने नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट के तहत वर्ष 2023 में कोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई।
मामले की सुनवाई के दौरान, आरोपी के वकील किशन जे. पारिख ने अदालत में यह तर्क रखा कि अगर शिकायतकर्ता द्वारा दी गई उधारी राशि के संबंध में तीन वर्षों के भीतर कोई कानूनी कार्रवाई या मांग नहीं की गई, तो वह राशि समय-सीमा से बाहर का बकाया मानी जाएगी। इसके अलावा, शिकायतकर्ता यह साबित करने में असफल रहा कि उसका किया गया लेन-देन कानूनी रूप से वैध था और वह समय-सीमा के भीतर था।
कोर्ट ने आरोपी पक्ष की दलील को स्वीकार करते हुए, आरोपी को संदेह का लाभ दिया और उसे इस मामले में दोषमुक्त करार दिया।