- लगभग 13 किमी विहार कर ज्योतिचरण पधारे नारणपर
- भुज को पावन बना गांधीधाम की ओर यात्रायित शांतिदूत
18.02.2025, नारणपर,कच्छ।जनमानस को नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूक करते हुए अविरल गतिमान युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी कच्छ जिले में विचरण करा रहे है। आज आचार्य श्री ने मिर्जापुर कुमारशाला से प्रभात वेला में मंगल विहार किया। सर्द मौसम अब मानों विदाई पर है, घड़ी की सुई के साथ–साथ सूर्य का ताप भी अब बढ़ने लगा है। हर परिस्थिति में अविचल दृढ़ संकल्प के धनी आचार्य प्रवर एक–एक गांव, कस्बे में जाकर आम जन में सदाचार का संदेश दे रहे है। लगभग 12 किमी विहार कर गुरुदेव का नरणपर के कन्या विद्यालय में प्रवास हेतु पदार्पण हुआ।
महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि यह मानव जीवन का प्राप्त शरीर अशुचिमय, अनित्य, अप्रिय व आशास्वत है। एक हमारी आत्मा ही शाश्वत है। आदमी को पांच इंद्रियां प्राप्त हैं श्रोत्रेन्द्रिय, चक्षुरेन्द्रिय, घ्राणेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय व स्पर्शनेन्द्रिय। आदमी कानों से सुनता है। व्यक्ति सुनकर कल्याण को भी जान लेता है और पाप को भी जान लेता है। अप्रमत भाव से शास्त्र वचन सुनने से हमें बहुत फायदा हो सकता है। प्रश्न हो सकता है कि यदि किसी की श्रवण-शक्ति ठीक है तो वह क्या, क्यों और कैसे सुने ? सुनने वाले को भी विवेक होना चाहिए।
गुरुदेव ने आगे फरमाया कि आदमी को अपनी श्रवण शक्ति का अच्छा लाभ उठाने का प्रयत्न करना चाहिए। कानों से अच्छा भजन, ज्ञानमयी बातें, जिन शासन से प्राप्त प्रेरणाएं, आचार्यों की कल्याणमयी वाणी आदि के श्रवण का प्रयास होना चाहिए। आदमी को कहीं से अच्छी बात प्राप्त हो, अच्छा सुनने को मिले, उसे ग्रहण करने का प्रयास करना चाहिए। सुनी हुई बातों को ग्रहण करने उपरान्त उसे अपने जीवन व्यवहार में उतारने का भी प्रयास करना चाहिए। आदमी को अधिक से अधिक सुनने का प्रयास करना चाहिए। प्रवचन, धर्मकथा आदि के श्रवण से कभी जीवन की कितनी समस्याओं का समाधान भी प्राप्त हो सकता है और जीवन की दशा दिशा भी बदल सकती है। कभी किसी दुःखी व्यक्ति का दुःख भी सुन लेने का प्रयास करना चाहिए तो कभी किसी की सलाह व सीख को सुन लेने का प्रयास होना चाहिए। सुनने से ज्ञान की प्राप्ति होती है। आजकल के वैज्ञानिक युग ने सुनने की बहुत सुविधाएं दे दी हैं। ऑनलाइन माध्यम से भी प्रवचन आदि सुनकर हजारों लोग लाभान्वित हो सकते हैं।
इस अवसर पर कार्यक्रम में समणी ख्याति प्रज्ञा जी ने भावों की अभिव्यक्ति दी। श्री हार्दिक खंडोल, श्री विनोदभाई डोषी, सांघवी डोषी, श्री भरत भाई गौर, सुरेश भाई, मेघजी भाई भूरिया, प्रिंसिपल अनिल भाई रूपारेल आदि ने स्वागत में विचार व्यक्त किए। महिला मंडल की बहनों ने गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने प्रस्तुति दी।