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मनुष्य ही आत्मा की शुद्धि कर कर्म निर्जरा से मोक्ष की राह पा सकता है-साध्वी कल्पलताश्री

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बाड़मेर।वर्तमान मे हर घर की विडम्बना भरी कहानी है परिवार मे आपसी प्रेम की जगह मोबाइल ने ले ली हैः-साध्वी शीलांजनाश्री
प्रतिदिन आराधना भवन में चल रही है चातुर्मासिक प्रवचनमाला
बाड़मेर 23 जुलाई। स्थानीय श्री जिनकांतिसारगसूरी आराधना भवन में श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी द्वारा चल रहा अनुभवानंदी वर्षावास प्रवचनमाला मे मंगलवार को साध्वी शीलांजना श्रीजी ने कहा की भारत देश ऋषियो, मुनियो की अवतरण भूमि रही है उसी भारत देश मे हमारा जन्म हुआ है इस युग मे महान भूमि पर जन्म लेकर हमारी संस्कृति कहा जा रही है। वर्तमान मे हर घर की विडम्बना भरी कहानी है परिवार मे आपसी प्रेम की जगह मोबाइल ने ले ली है परिवार भौतिक सुखो की दोङ से निवृत्त होकर घर परिवार मे रिस्तो को समय नही देकर मे पुरा परिवार मोबाइल मे व्यस्त हो जाता है, इस स्थिति मे परिवार मे धर्म ओर संस्कार का कोई ठिकाना तक नही रहा है इस व्यवस्था मे धर्म बचेगा कैसे। संघ समाज मे संविधान बनता है तो अब घर मे भी संविधान बनना चाहिए, कितने बजे घर मे मोबाइल का उपयोग हो, कितना समय परिवार मे रिस्तो के साथ बिताया जाए नही तो मोबाइल रिस्तो की अहमियत खत्म करने वाला है। प्रवचनमाला में गुरूवर्या श्री कल्पलता श्री ने तीर्थंकर परमात्मा ने केवल ज्ञान प्राप्त किया तो क्या देखा-जिस करणी पर हम गये अरिहंत सिद्ध भगवान, उस राह पर चले,तुम ओर हम सम्मान। प्रवचनमाला मे गुरूवर्या श्रीजी ने प्रश्न की सुखी आप या हम तो पांडाल से उत्तर मिला आप, तो गुरूवर्या श्रीजी ने कहा हम सुखी है तो आप हमारे सुख की इच्छा, ईष्र्या क्यो करते सुख पाने की। भौतिक सुख की ओर ही क्यो दोङ लगा रहे है, जहा सुख है ही नही अंनत दुखो का कारण है। गुरूवर्या श्री ने बताया कि साधना ओर साधन मे एक मात्रा का ही फर्क है परंतु साधना भवो भव से आत्मोत्थान की ओर ले जाएगी ओर साधन भव भ्रमजाल मे फसाने का काम करेगी। परमात्मा ने कहा है सामायिक मोक्ष का मार्ग है सामायिक मे समता भाव मे रहकर, संयम जीवन जीने की राह व शुभ भावो मे वृद्धि करने के शुभ परिणाम देती है ,आत्म स्थिरता, समता भाव आना, सम भाव मे रहना ही सामायिक की साधना है। सामायिक का परिणाम हमे 84 लाख जीवो को अभय दान देना है ,पाप प्रवृत्ति से निवृति की ओर जाना है एक सामायिक विधिवत हो जाए तो समझो अध्यात्म से सम भाव मे जुङ गये। देवता भौतिक सुख साधनों से मनुष्य से उपर जरूर है लेकिन मनुष्य से बड़े नही हो सकते है, मनुष्य ही आत्मा की शुद्धि कर कर्म निर्जरा से मोक्ष की राह पा सकता है। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ चातुर्मास कमेटी के उपाध्यक्ष ओमप्रकाश भंसाली व मिडिया प्रभारी अशोक संखलेचा भूणिया ने बताया कि खरतरगच्छ संघ बाड़मेर में चल अनुभवानन्दी चातुर्मास में मंगलवाद को मुम्बई से प्रकाशचंद कानुगो व चोहटन से डाॅ. मोहनलाल डोसी ने आराधना पहुंच कर गुरूवर्याश्री के दर्शन किए और प्रवचन में संघ द्वारा अभिनन्दन किया गया। प्रकाशचंद कानुगो ने उद्बोधन में कुशल वाटिका तीर्थ स्थापना कैसे हुई इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी और बताया कि हमे जैन संस्था जीतो को समझना होगा, उनके लाभ सकल जैन संघ को मिले एवं उनकी साधु-साध्वी आरोग्य बीमा सुरक्षा की जानकरी भी दी, जो पुरे भारत के श्रमण-श्रमणीवृन्द के लिए संचालित हो रही है। चातुर्मास के दौरान प्रतिदिन प्रातः में भक्ताम्बर पाठ, प्रातः व सांयकालीन प्रतिकमण व तपस्याएं निरंतर चालू है।

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