सूरत।गोपीपुरा सुभाष चौक शीतलवाड़ी खरतरगच्छ जैन उपाश्रय में रविवार को साध्वी स्वर्णोदया श्रीजी म.सा. ने अपने प्रवचन में कहा कि आत्मा में सदगुणों का रोपण करे व दुर्गुणों का निष्काष्सन करे तभी सम्यग ज्ञान , सम्यग दर्शन एवं सम्यग चारित्र को प्राप्ति होगी। उन्होंने बताया कि मानव जीवन अनमोल व दुर्लभ है। किन्तु हम उसकी क़द्र नहीं करते है।
पूरा जीवन भोग विलास आदि सांसारिक प्रपंच में पूरा हो जाता है। जब तक हम हमारी आत्मा के सच्चे स्वरुप को नहीं समझेंगे तब तक संसार रुपी सागर में गोते लगाते रहेंगे।अंत में उन्होंने सामायिक के बारे बताया कि सामायिक यानि अड़तालीस मिनट तक दुनियावी प्रवृति से हटकर आत्मा में रमण करना है प्रारम्भ मे अभुदया श्रीजी म.सा. ने मगलाचरण किया।