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जीवन में प्राण शक्ति का बहुत महत्व : मुनि सुधाकर

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माधावरम्, चेन्नई। मुनि सुधाकर के सान्निध्य में जय समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में विघ्न हरण ढाल पर विशेष प्रवचन माला का शुभारम्भ हुआ।
  मुनि श्री ने श्रद्धालु जनमेदनी को सम्बोधित करते हुए कहा कि ध्यान और जपयोग के बिना हमारी साधना अधूरी है। धार्मिक व्यक्ति को प्रतिदिन ध्यान और जपयोग का अभ्यास करना चाहिए। भगवान महावीर की वाणी में जप का आध्यात्मिक यज्ञ के रूप में प्रतिपादन किया गया है। ध्यान से पूर्व संचित क्लेष दूर होता है तथा चित्त शुद्ध होता है। जपयोग से शक्तिशाली कवच का निर्माण होता है। जिससे किसी प्रकार के अनिष्ट का जीवन में प्रवेश नहीं होता है। परिवार की शान्ति के लिए सामूहिक मंत्र साधना का भी बहुत महत्व है। वीतराग मन्त्रों का अनुष्ठान, धार्मिक साधना का प्रमुख अंग है। उन्होंने कहा कि जीवन में प्राण शक्ति का बहुत महत्व है। हमारा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राण-शक्ति पर निर्भर है। भिन्न साधना के द्वारा प्राण शक्ति बलवान होती है। इसके साथ ही उसके प्रभाव से हम उसका सही दिशा में नियोजन कर सकते है। इसलिए मन्त्र की साधना के साथ अहिंसा और संयम का अभ्यास आवश्यक है।
  मुनिश्री ने पंच ऋषि स्तवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उसके प्रभाव, प्रयोग और रहस्य पर भी विचार व्यक्त किए।
  मुनि नरेशकुमार ने कहा हमें सकारात्मक सोच विकसित करनी चाहिए। विचारों का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति जैसा सोचता है, वैसा ही उसका जीवन बन जाता है।

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