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क्षमा धर्म को धारण करे मानव : मानवता के मसीहा महाश्रमण

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-चेम्बूर का पंचदिवसीय प्रवास सुसम्पन्न कर महातपस्वी महाश्रमण ने गोवन्डी को किया पावन  

-श्रद्धालु जनता ने अपने आराध्य का स्वागत जुलूस के साथ किया भावभीना अभिनंदन  

-श्री नारायण गुरु सेण्ट्रल स्कूल बना पूज्यचरणों से पावन 

-गोवन्डीवासियों ने अपने आराध्य की अभिवन्दना में दी भावनाओं को अभिव्यक्ति  

मंगलवार, गोवन्डी, मुम्बई।चेम्बूर में सन् 2024 का मंगलपाठ सहित पंचदिवसीय प्रवास सुसम्पन्न कर मंगलवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, अणुव्रत यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने चेम्बूर से प्रातःकाल मंगल प्रस्थान किया। चेम्बूरवासियों ने अपने आराध्य के प्रति अपने कृतज्ञ भावों को अर्पित कर रहे थे। जन-जन पर आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर गतिमान हुए। मार्ग में श्रद्धालु जनता अपने आराध्य के श्रीचरणों अनुगमन कर रही थी। आज आचार्यश्री गोवन्डी की ओर गतिमान थे। गोवन्डीवासी अपने आराध्य के स्वागत को उत्सुक नजर आ रहे थे। जैसे ही आचार्यश्री अपनी धवल सेना के साथ गोवन्डी की सीमा में पधारे तो सैंकड़ों की संख्या मंे उपस्थित गोवन्डीवासियों ने बुलंद जयघोष के साथ अपने आराध्य का अभिनंदन किया। भव्य स्वागत जुलूस के रूप में श्रद्धालु अपने चरणों का अनुगमन करते हुए गोवन्डी में स्थित श्री नारायण गुरु सेण्ट्रल स्कूल में पधारे। जहां स्कूल के एनसीसी के बच्चों ने अपने बैंड आदि के साथ आचार्यश्री का भावभीना स्वागत किया। 

स्कूल परिसर में ही बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि ‘खाववे सब्ब जीवा....’ यह श्लोक साधु-साध्वियों के कितनी बार पठनीय होता है। इसमें क्षमा और मैत्री की भावना को प्रकट किया गया है। मानव का सभी जीवों के साथ मैत्री का भाव होना चाहिए। किसी के भी साथ वैर-विरोध नहीं होना चाहिए। चौरासी लाख जीव योनियों में दुर्लभ मानव जीवन का पूर्ण लाभ उठाने के लिए किसी से भी फालतू वैर-विरोध नहीं होना चाहिए। अहिंसा की चेतना को पुष्ट रखने के लिए सभी से क्षमा मांगना और सभी को क्षमा कर देना वाला आदमी बड़ा होता है। जो आदमी क्षमा रूपी खड्ग को धारण कर लेता है, भला उसका दुर्जन क्या बिगाड़ सकता है? क्षमा को धर्म कहा गया है। क्षमा रूपी धर्म को धारण करने वाला आदमी सुख और शांति का जीवन व्यतीत कर सकता है। 

परिवार, समाज और राष्ट्र में भी क्षमा की भावना हो। परस्पर वैर-विरोध को अवसर न मिले। जीवन में क्षमा, सहिष्णुता हो तो जीवन को अच्छा बनाया जा सकता है। गोवन्डी की जनता को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उद्बोधित किया। अपने आराध्य के स्वागत में स्थानीय स्वागताध्यक्ष श्री रमेश बोहरा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपने सुगुरु की अभिवन्दना में अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीत का संगान किया। इस दौरान उन्होंने संकल्पों का उपहार भी श्रीचरणों में समर्पित किया। तेरापंथ महिला मण्डल-मुम्बई की गोवंडी से संबंधित सदस्याओं ने स्वागत गीत का संगान किया। स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने भी गीत का संगान किया। तेरापंथ किशोर मण्डल ने गीत का संगान करते हुए अपने नाट्य को प्रस्तुति दी। तेरापंथ किशोर मण्डल ने आचार्यश्री ने आजीवन आत्महत्या न करने का संकल्प स्वीकार किया। श्री नारायण गुरु स्कूल के ट्रस्टी श्री ओ.के. सर ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी व आचार्यश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।  

 

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