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सुख की प्राप्ति के लिए करें आत्मयुद्ध : शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमण

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कुर्ला का जगा भाग, द्विदिवसीय प्रवास को पधारे तेरापंथ गणराज

 

-भव्य स्वागत जुलूस के साथ युगप्रधान आचार्यश्री पहुंचे मुम्बई पब्लिक स्कूल*  

 

-दर्शन व स्वागत को पहुंचे गणमान्य, हर्षित श्रद्धालुओं ने दी भावनाओं को अभिव्यक्ति

कुर्ला, मुम्बई।भारत की आर्थिक राजधानी मुम्बई के कोने-कोने को अपने चरणरज से पावन बनाने वाले ज्योतिचरण रविवार को कुर्ला में पधारे तो कुर्लावासी जनता अपने भाग्य पर इतरा उठे। जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के स्वागत में कुर्ला का सकल समाज उमड़ आया। भव्य स्वागत जुलूस में सर्व समाज में सद्भावना परिलक्षित हो रही थी। सभी मानवता के मसीहा के दर्शन को आतुर नजर आ रहे थे। आचार्यश्री अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि करते हुए दो दिवसीय प्रवास के लिए कुर्ला (वेस्ट) में स्थित मुम्बई पब्लिक स्कूल में पधारे। इसके पूर्व रविवार को प्रातः शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के संग सायन कोलीवाड़ा में स्थित लोढ़ा इवोक से मंगल प्रस्थान किया। सायन कोलीवाड़ा आदि क्षेत्र में श्रद्धालु अपने आराध्य के प्रति अपने कृतज्ञ भावों को अर्पित कर रहे थे तो उत्साही कुर्लावासी अपने आराध्य की अगवानी में पहुंच रहे थे। मार्ग में अन्य समाज व वर्ग के लोगों को भी आचार्यश्री के दर्शन व आशीर्वाद का लाभ प्राप्त हो रहा था। आचार्यश्री लगभग सात किलोमीटर का विहार कर कुर्ला (वेस्ट) में स्थित मुम्बई पब्लिक स्कूल में पधारे। 

प्रवास स्थल से लगभग पांच सौ मीटर दूर स्थित न्यू मिल ग्राउण्ड में बने प्रवचन पण्डाल में उपस्थित जनता को सम्बोध प्रदान करते हुए कहा कि दुनिया का प्रत्येक प्राणी सुख की कामना करता है, लेकिन सुख की प्राप्ति कैसे हो, यह यक्ष प्रश्न हो सकता है। दुनिया में युद्ध भी चलता है। कभी दो देश युद्ध कर रहे होते हैं तो कहीं दो संप्रदाय, दो परिवार अथवा दो व्यक्तियों में भी युद्ध की बात होती है। सुखी की प्राप्ति के लिए शास्त्रकार ने युद्ध की बात बताई। यहां शास्त्रकार ने अपनी आत्मा से युद्ध करने की प्रेरणा प्रदान की है। आदमी अपनी आत्मा के साथ युद्ध कर वास्तविक सुख को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। कषाय, लोभ, अहंकार आदि आत्मा के साथ शुभ योग आत्मा, चारित्र आत्मा, सम्यक् ज्ञान, सम्यक् चारित्र आदि से युक्त आत्मा युद्ध कर विजय प्राप्त हो जाती है तो आदमी वास्तविक सुख को प्राप्त कर सकता है। 

भगवान महावीर ने भी अपनी आत्मा के साथ धर्मयुद्ध किया। लगभग साढे वर्षों तक उनका धर्मयुद्ध चला। वैशाख शुक्ला दशमी को उन्हें केवलज्ञान की प्राप्ति हुई और तीर्थंकरत्व को प्राप्त कर लिया। भगवान महावीर की तरह महायोद्धा बनने का प्रयास करना चाहिए। गृहस्थ को अपने जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की चेतना का विकास करने का प्रयास करना चाहिए। आदमी अपने जीवन में इन तीन सूत्रों को ही अपना ले तो आत्मा का उत्थान हो सकता है। आचार्यश्री ने कुर्लावासियों को आशीष प्रदान करते हुए कहा कि सभी में धार्मिकता का प्रभाव बना रहे, यह काम्य है। 

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उद्बोधित किया। इसके उपरान्त आचार्यश्री के स्वागत में स्थानीय सभाध्यक्ष श्री कांतिलाल कोठारी, जैन तेरापंथ ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री सतीश मेहता ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी अपने प्रस्तुतियां देते हुए अपने आराध्य को संकल्पों का उपहार भी भेंट किया। तेरापंथ समाज-कुर्ला ने स्वागत गीत का संगान किया। 

आचार्यश्री के स्वागत व दर्शन को पहुंचे पूर्व गृहमंत्री श्री कृपाशंकर सिंह ने कहा कि जहां-जहां आचार्यश्री महाश्रमणजी के चरणरज पड़ते हैं, वह धरती धन्य हो जाती है। आज आपके आगमन से कुर्ला धरती भी पावन हो गई है। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी से भी बहुत स्नेह व प्रेरणा प्राप्त होती थी। आपश्री का भी आशीर्वाद सदैव प्राप्त होता रहे। डोम्बीवली में आयोजित आगामी वर्धमान महोत्सव से संबंधित लोगो भी पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित किया गया। 

 

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