IMG-LOGO
Share:

भगवान महावीर का 2550वां निर्वाण कल्याणक महोत्सव

IMG

-भगवान महावीर के संदेशों को फैलाए – आचार्य महाश्रमण

-आचार्यश्री ने दी तप, जप, अध्यात्म द्वारा वर्ष मनाने की प्रेरणा

सोमवार, घोड़बंदर रोड, मुंबई। अहिंसा,अनेकांत,अपरिग्रह जैसे सिद्धांतों द्वारा मानव जाति को एक नई दिशा देने वाले, संसार के प्रत्येक प्राणी को स्वयं के समान मानने का उपदेश देने वाले चौबीसवें तीर्थंकर प्रभु भगवान महावीर का 2550 वां निर्वाण कल्याणक आज युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसी के साथ ही आचार्यश्री ने 'जैनम जयतु शासनम' उपक्रम के तहत 2550 वें निर्वाण कल्याणक वर्ष का शुभारंभ किया। जिसके अंतर्गत प्रत्येक अमावस्या को देशभर में श्रावक समाज द्वारा ध्यान, स्वाध्याय, तप, जप आदि आध्यात्मिक प्रवृत्तियां की जाएगी। 

धर्मसभा में प्रवचन करते हुए आचार्य श्री ने कहा– आज कार्तिकी अमावस्या भगवान महावीर के निर्वाण से जुड़ी हुई तिथि है। भगवान महावीर तपोमूर्ति थे। आज से लगभग 49 वर्ष पूर्व भगवान महावीर के निर्वाण की 25 वीं शताब्दी आई थी। उस समय हम दिल्ली में थे। तब आचार्य श्री तुलसी और जैन धर्म के विभिन्न संप्रदायों के अनेक आचार्य थे। उस वर्ष के परिपेक्ष्य में कई चिंतन, मंथन भी हुए। आज जो हम जैन ध्वज, जैन प्रतीक आदि देख रहे है यह उसी की निष्पत्तियां है। इस बार यह 2550 वां वर्ष का प्रसंग है। हम प्रभु के संदेशों को फैलाने का कार्य करे। 

गुरुदेव ने आगे कहा कि प्रभु महावीर का जीवन साधना का जीवन था, अहिंसामय जीवन था। इसे विरले महापुरुष होते है जो दुनिया में आते है और हमें ज्ञान की बात, अच्छी बातें बताते है। इस वर्ष जितना हो सके हम उनकी, शिक्षाओं, सिद्धांतों का प्रचार करे। स्कूलों, विश्व विद्यालयों आदि स्थानों पर उनके उपदेशों के बारे में बताया जाए। प्रत्येक अमावस्या को नवकारसी, पोरसी आदि तप भी किया जा सकता है। हम अव्रत से व्रत की ओर बढ़े, हिंसा से अहिंसा की ओर बढ़े, असंयम से संयम की ओर बढ़े, मिथ्यात्व से सम्यकत्व की ओर बढ़े। 

इस अवसर पर साध्वीवर्या संबुद्ध यशा जी, समणी नियोजिका अमल प्रज्ञा जी ने अपने विचार रखे। जैन विश्व भारती ओरलेंडों सेंटर के चेयरमैन देवांग भाई चितलिया ने भावाभिव्यक्ति दी। 

मासखमण का प्रत्याख्यान
मुनि राहुल कुमार जी ने गुरुदेव ने 33 दिन मासखमण की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। ज्ञातव्य है की चातुर्मास में साधु–साध्वियों द्वारा यह पांचवा मासखमण है, इससे पूर्व चार साध्वी वृंद ने मासखमण तप का प्रत्याख्यान किया था। 

 

 

Leave a Comment

Latest Articles

विद्रोही आवाज़
hello विद्रोही आवाज़

Slot Gacor

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Pulsa

Slot Deposit Pulsa Tanpa Potongan

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Login Slot

Situs Slot Gacor