IMG-LOGO
Share:

रुचि से धार्मिक अनुष्ठान के लिए लगाये समय : जिनमणिप्रभसूरिश्वरजी

IMG

समय प्रबंधन के महत्व को समझाते हुए सामाजिक, अध्यात्म कार्यों में संयोजक करने की दी प्रेरणा 

चेन्नई । श्री मुनिसुव्रत जिनकुशल जैन ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री सुधर्मा वाटिका, गौतम किरण परिसर, वेपेरी में शासनोत्कर्ष वर्षावास में उत्तराध्यन सूत्र के सातवें अध्ययन के विवेचन में धर्मपरिषद् को सम्बोधित करते हुए गच्छाधिपति आचार्य भगवंत जिनमणिप्रभसूरीश्वर म. ने कहा कि मिथ्यात्वी का खानपान, रहनसहन सब राग द्वेष युक्त होता है, वहीं सम्यक्त्वी का खानपान, रहनसहन इत्यादि हर क्रिया यतनापूर्वक, सावधानी से होती है, धर्म में रत रहता है। कुछेक प्राणी वर्तमान में मिल रही भौतिक सुखों को देख प्रसन्न हो जाते है लेकिन यह भान भूल जाते है कि ये सुख सुविधाएं ही हमें डुबाने वाली होती है। उसी तरह हमारा भी यह छोटा सा जन्म है, कब आयुष्य पूर्ण हो जाये, हमें मालूम नहीं। अतः जो समय हमारे पास है उसका सदुपयोग करना चाहिए। 

गुरुवर ने कहा कि एक प्रश्न अपने जीवन के बारें में कि मेरे पास में जो समय है, कितना है? यह मालूम नहीं, परन्तु है, तभी तो मैं खा रहा हूँ, बोल रहा हूँ, अन्य काम कर रहा हूँ। मैं उस समय को कौनसी क्रियाओं के लिए उपयोग में ले रहा हूँ? यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। समय स्वभाविक रुप से चल रहा है और कई बार परिवार में रहते हुए बिना इच्छा, मजबूरी से भी देना पड़ता है। चिन्तन यहीं रहना चाहिए कि हम रुचि से धार्मिक अनुष्ठान के लिए समय लगाते है या सामाजिक कामों में ही समय को खो रहे है। विज्ञान के साधनों से पूर्व की अपेक्षा हमारा समय बच रहा है, फिर भी हम उनका सदुपयोग नहीं कर पाते। समय बच तो गया, लेकिन उन बचे हुए समय को हम सही कामों में नहीं लगा रहे। उसी तरह हमारा वो खाली दिमाग खराब विचारों से अधिक भर रहा है। हमें संकल्पित हो अच्छी स्मृतियों, अच्छे विचारों में ही समय को लगाना चाहिए। समय सभी को चौबीस घंटे ही मिलते है, समय हमें निकाल कर ही, रुचि निकाल कर ही अध्यात्म के लिए, चेतना के लिए, आत्मा के लिए अर्पण करना चाहिए। रेगिस्तान में जैसे मिले पानी का पूर्ण सदुपयोग करते है, उसी तरह हम हमारे जीवन को रेगिस्तान की तरह ही समझ कर उसका कार्य करना चाहिए। 

विशेष पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आज से सौ वर्ष पूर्व व्यक्ति/महिलाएँ प्रातःकाल जल्दी उठ कर घर के अनेकों कार्यों का सही समय पर नियोजन करके भी आध्यात्मिक उन्नति में भी लगाते थे। वर्तमान में भौतिक संसाधनों की भरमार से समय बहुत बच गया, जहां चेन्नई से मुम्बई पहुचने में कई दिवस लगते और अभी तो चन्द घण्टों में पहुंच पाते है। उस बचे समय का सम्यग् उपयोग होना चाहिए, यह काम्य है। समय प्रबंधन के साथ कार्य करना चाहिए। 

पाँच वर्षीय बालक आदेश कटारिया ने अपनी माता अर्चनादेवी के मासक्षमण के उपलक्ष्य में गुरुवर के चरणों में श्रद्धासिक्त अभिवन्दना की। गुरुश्री ने तपस्वीनी को प्रत्याख्यान करवाया। ट्रस्ट मण्डल की ओर से तपस्वीनी का अभिनन्दन किया गया।

Leave a Comment

Latest Articles

विद्रोही आवाज़
hello विद्रोही आवाज़

Slot Gacor

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Pulsa

Slot Deposit Pulsa Tanpa Potongan

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Login Slot

Situs Slot Gacor