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प्रज्ञा के शिखर पुरुष आचार्य महाप्रज्ञ : मुनि सुधाकर

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चेन्नई।

विभिन्न व्यक्ताओं ने जैन एकता एवं विकास में आचार्य महाप्रज्ञ के योगदान को बताया अतूलनीय*

   नार्थ टाउन, चेन्नई 26.06.2022 ; सहज विनम्रता और आत्मानुशासन के साधक थे आचार्य महाप्रज्ञ। प्रबुद्ध प्रज्ञा व गहन चिंतन से ज्ञान पिपासुओं के प्यास बुझाते थे आचार्य महाप्रज्ञ। उपरोक्त विचार नार्थ टाउन तेरापंथ परिवार द्वारा श्री जैन संघ भवन में आयोजित जैन एकता एवं विकास में आचार्य महाप्रज्ञ का योगदान विषय कार्यक्रम में मुनि सुधाकर ने कहे।
  अपने आराध्य के 103वें जन्मदिवस पर श्रद्धा समर्पित करते हुए मुनि सुधाकर ने कहा शून्य से शिखर की यात्रा करने वाले पुरुष का नाम है आचार्य महाप्रज्ञ। जन्म के समय सम्भवतः सुने प्रथम शब्द चोर को सार्थक करते हुए उन्होंने राग-द्वेष, ममत्व, कषायों रुपी आत्म उज्जवलता के बाधक तत्वों की अपने जीवन से चोरी की। अखण्ड साधना से प्रेक्षाध्यान का प्रादुर्भाव किया। शिक्षा से जीवन के सर्वागीण विकास के लिए जीवन विज्ञान का अवदान दिया। आप अनेकांत के उपासक थे। जैन एकता के विकास के लिए आपने विभिन्न सम्प्रदायों के आचार्यो, विशिष्ट संतों की सहमति से भगवान महावीर की 25वीं निर्माण शताब्दी पर जैनों का एक ग्रंथ *समण सूतम्* एवं *जैन ध्वज* की परिकल्पना को साकार रूप दिया। 
 मुनिश्री ने जैन एकता के बारे में बताते हुए बताया कि भारत के राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन कहते थे कि भारतीय लोकतंत्र के रीड की हड्डी,  संघीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाना है, तो जैन धर्म के अहिंसा, अनेकांत अपरिग्रह के सिद्धांतों से सफलता हासिल की जा सकती है। महाप्रज्ञजी के आगम सम्पादन, ध्यान की पद्धति को वर्तमान के परिपेक्ष्य में प्रस्तुत करने पर दिगम्बर आचार्य विद्यानंदजी ने आपको *जैन योग के पुनरुद्धार* के रूप में संबोधित किया। 
 मुनिश्री ने आज के विशेष अवसर पर समुपस्थित जैनों के विभिन्न संस्थाओं से जुड़े व्यक्तियों के साथ धर्म सभा को प्रेरणा पाथेय देते हुए कहा कि हमें आडम्बरों से दूर रहना चाहिए। व्यर्थ के अपव्यय से हो रही भोजन की प्रथा को कम करना होगा, मिटाना होगा।
 मुनि नरेशकुमार ने 'प्रबल भाग्य से हमे महाप्रज्ञ गणराज मिले' कविता के माध्यम से भावाभिव्यक्ति दी। विशिष्ट अतिथि जैन महासंघ के अध्यक्ष राजकुमार बडजात्या ने ध्यान योगी, आध्यात्म में रचे-पचे, महाप्रज्ञजी को जैन एकता के साथ, मानवीय एकता के उनके सराहनीय प्रयासों को श्रेष्ठ बताया। मुख्य अतिथि जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के उपाध्यक्ष नरेन्द्र नखत ने कालजयी व्यक्तित्व के धनी आचार्य महाप्रज्ञ के साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए अहिंसा यात्रा को अद्वितीय बताया। अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य प्रवीण टांटिया ने जैन एकता के विकास के लिए उनके आगम संपादन के योगदान की व्याख्या की। महावीर इंटरनेशनल के चेयरमैन सज्जनराज मेहता ने कहा आचार्य महाप्रज्ञ इस युग के अतिविशिष्ट कवि, साहित्यकार थे। जिन्होंने लगभग 300 पुस्तकों का लेखन किया। प्रेक्षाध्यान को मानसिक असंतुलित व्यक्ति को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने वाला बताया। एस एस जैन संघ नार्थ टाउन के अध्यक्ष अशोक कोठारी ने कहा कि गुरु भगवंतों के मार्गदर्शन में चलने वाला, अंधेरे में भी ठोकर नहीं खा सकता।
 इससे पूर्व मुनिवृंद के मंगल मंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। उपासक परिवार ने "हम मौद मनाएं, मंगल गाएं, प्रभु को आज बधाएं", नार्थ टाउन परिवार ने 'खुशियाँ बरसे, जाणे सांवरिया रो लोर', मादावरम् की बहनों ने ' करते वंदन, हम अभिनंदन' गीतिकाओं के माध्यम से भावांजलि अर्पित की। तेरापंथ सभाध्यक्ष उगमराज सांड, अणुव्रत समिति अध्यक्ष ललित आंचलिया, महिला मंडल से मालाबाई कातरेला, तेरापंथ युवक परिषद् सहमंत्री कोमल डागा, तेरापंथ ट्रस्ट माधावरम् के प्रबंधन्यासी घीसूलाल बोहरा, तेरापंथ ट्रस्ट साहूकारपेट के प्रबंधन्यासी विमल चिप्पड़, बंशीलाल डोसी इत्यादि ने आराध्य को श्रद्धा सुमन समर्पित किए। नार्थ टाउन ज्ञानशाला के ज्ञानार्थीयों ने सुन्दर प्रस्तुति दी। सभी अतिथियों का अंगवस्त्रम एवं साहित्य से स्वागत किया गया।  स्वागत भाषण नार्थ टाउन तेरापंथ परिवार के अध्यक्ष सम्पतराज सेठिया ने, आभार ज्ञापन उपाध्यक्ष राजकरण बैद ने एवं सफल संचालन मंत्री पुखराज पारख ने किया।

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