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तेरापंथ अधिशास्ता महाश्रमण का शाहीबाग के तेरापंथ भवन में भव्य मंगल प्रवेश

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-विशाल और भव्य स्वागत जुलूस: मार्ग पर लहराता रहा आस्था का सागर

-दसदिवसीय प्रवास के लिए ग्यारहवें अनुशास्ता के पदार्पण से जन-जन का मन हर्षित  

-धर्म है सर्वोत्कृष्ट मंगल : महातपस्वी महाश्रमण  

शाहीबाग, अहमदाबाद (गुजरात)। 21 दिवसीय अहमदाबाद के विभिन्न क्षेत्रों में लगभग सात दिवसीय प्रवास सुसम्पन्न कर गुरुवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, महातपस्वी महाश्रमण दस दिवसीय प्रवास के लिए शाहीबाग की ओर गतिमान हुए तो अपने आराध्य की अभिवंदना में उत्साहित, उल्लसित और उमंग से भरे अहमदाबादवासियों के श्रद्धाभावों का सैलाब में मानों पूरा मार्ग ही बहता नजर आ रहा था। 

गुरुवार को नवरंगपुरा स्थित सरदार पटेल समाज भवन से अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी गतिमान हुए। अभी नवरंगपुरावासी श्रद्धालु अपने कृतज्ञभावों को व्यक्त ही नहीं कर पाए कि सम्पूर्ण अहमदाबादवासियों का हुजूम उमड़ने लगा। अपने गुरुचरणों का अनुगमन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या समय के साथ बढ़ती जा रही थी। मानव-मानव का कल्याण करने वाले महामानव के स्वागत में आज मानों केवल तेरापंथी ही नहीं, सम्पूर्ण मानव समाज उमड़ आया था। तभी तो आज विहार मार्ग मानों आस्था का सागर लहराने लगा था। श्रद्धालुओं पर अपने दोनों करकमलों से आशीषवृष्टि करते हुए निरंतर गतिमान आचार्यश्री जैसे ही शाहीबाग के निकट पहुंचे तो लगा कि श्रद्धा के कितने-कितने सागर ज्ञान और अध्यात्म के महासागर में समाहित होने के लिए उनकी ओर बढ़ चल रहे थे और हुआ भी कुछ ऐसा कि सभी ने आस्थाभावों से अपनी प्रणति कर आशीष प्राप्त किया और अपने मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी के स्वागत में वह आस्था का सागर भव्य और विशाल स्वागत जुलूस में परिवर्तित हो गया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों द्वारा सजाई गई झाकियां, बुलंद जयघोष, अनेक प्रकार के गणवेशों में सजे नर-नारियों का कतारबद्ध पथगमन राहगीरों को सहसा अपनी ओर आकर्षित कर रहा था। आचार्यश्री महाप्रज्ञजी रेलवे ओवरब्रिज को पार कर आचार्यश्री दस दिवसीय प्रवास हेतु शाहीबाग में स्थित तेरापंथ भवन में पधारे। 

वहां से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्लेटिनम हाईट्स के बने विशाल जैनं जयतु शासनम् समवसरण श्रद्धालुओं से जनाकीर्ण बना हुआ था। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने जनता को उद्बोधित किया। 

आचार्यश्री ने समुपस्थित विशाल जनमेदिनी को पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी स्वयं का मंगल चाहता और दूसरों के प्रति भी मंगलकामनाएं करता है। इसके लिए वह कई तरह के पदार्थों का प्रयोग करता है, शुभ मुहूर्त देखता है अथवा कुछ मंगल मंत्रों का वाचन, पाठ जप आदि का भी प्रयोग करता है, किन्तु शास्त्रकारों ने धर्म को सर्वोत्कृष्ट मंगल कहा है। अहिंसा, संयम और तप रूपी धर्म ही सर्वोत्कृष्ट मंगल है। जहां अहिंसा की चेतना हो, संयम का विकास हो और जीवन में तप रहे तो वहां मंगल ही मंगल है। जिसका मन सदैव धर्म में रत रहता है, देवता भी उसे नमस्कार करते हैं। आदमी के विचार-व्यवहार में भी धर्म आ जहाए तो कल्याण की बात हो सकती है। 

आचार्यश्री ने अहमदाबाद के पूर्व प्रवासों का वर्णन करते हुए कहा कि हमारा यहां आना हुआ है। सभी के जीवन में ज्ञान की लाइट और संयम का ब्रेक हो तो जीवन की गाड़ी कल्याण की दिशा में आगे बढ़ सकती है। आचार्यश्री ने गुरुदर्शन करने वाले मुनि कुलदीपकुमारजी आदि संतों व साध्वी रामकुमारीजी आदि को भी मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। 

गुरुदर्शन से हर्षित साध्वी रामकुमारीजी की सहवर्ती साध्वियों ने अपने हर्षित भावों को गीत के माध्यम से श्रीचरणों में समर्पित किया। आचार्यश्री के स्वागत में आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति की ओर से श्री अरुण बैद, तेरापंथ समाज सेवा ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री सज्जन सिंघवी, तेरापंथी सभा-शाहीबाग की ओर से श्री विकास पितलिया ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ समाज व तेरापंथ महिला मण्डल ने पृथक्-पृथक् स्वागत गीत का संगान किया।  

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