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अहिंसा, संयम और तप करने वाले को भगवान भी नमस्कार करते हैं: मुनि उदित कुमार जी

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सूरत। महा तपस्वी आचार्य महाप्रज्ञ के आज्ञानुवर्ती मुनि उदित कुमार जी अपने समवर्ती संत मुनि आनंद कुमार जी, रम्य कुमार और ज्योतिर्मय कुमार जी के साथ चातुर्मास हेतु सूरत पधारने पर सूरत महानगर की सीमा में प्रवेश करने के अवसर पर उनका भव्य स्वागत करने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु उमड़ पड़े थे।
मुनी का भव्य स्वागत किया गया। उसके बाद मुनि मोक्ष प्योर वाटर सिस्टम में पधारे। जहां उपस्थित विशाल श्रावक समुदाय को संबोधित करते हुए मुनि ने कहा कि कुछ पदार्थों को शुभ अथवा मांगलिक माना जाता है। फल, कंकू, गुड वगैरह द्रव्य पदार्थ मंगल माना जाता है। परंतु आध्यात्मिक क्षेत्र के भाव मंगल में श्रेष्ठ है धर्म। भगवान महावीर के अनुसार धर्म के मुख्य तीन अंग है। जो व्यक्ति अहिंसा, संयम, तप रूपी धर्म का पालन करते हैं, वे आध्यात्मिक रूप से सबल बन जाते हैं। उनको सफलता पाने के लिए देवी देवताओं का चक्कर नहीं काटना पड़ता। देवताओं को प्रसन्न करने के लिए बाधा या मनौती नहीं करनी पड़ती, बल्कि ऐसे मनुष्य का देवता भी खुद नमस्कार करते हैं।
मुनि ने कहा कि सूरत की जनता आध्यात्मिक जनता है। अहिंसा और संयम का पालन करते हैं तो तब करने में भी पीछे नहीं है। यहां गली गली में लोग वर्षीतप की साधना कर रहे हैं। मुनि ने तेरापंथी सभा, महिला मंडल, युवा परिषद, अणुव्रत समिति, टीपीएफ सहित संस्थाओं की सेवा समिति की सराहना की।
मोनी आनंतकुमार जी ने कहा कि सूरत हमारी कर्मभूमि रही है।23 वर्ष पूर्व हमने दीक्षा गुरु की आज्ञा अनुसार सूरत में मुनि सुमेरमल जी से लिया था। उसके बाद सूरत आने का पहली बार सौभाग्य मिला है। सूरत का चातुर्मास हमारे लिए विकास के नए द्वार खोलेगा, ऐसी श्रद्धा और विश्वास है।

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