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सद्गुणों के विकास से सुरभित बनता है जीवन-आचार्यश्री महाश्रमण

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लगभग-10 कि.मी. का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री पहुंचे विजापुर

-शांतिदूत की अगवानी में पहुंचे स्थानकवासी श्रमण संघ के उपप्रवर्तक व अन्य संत 

-श्रीमद् बुद्धिसागरसूरी जैन समाधि मंदिर में आचार्यश्री का हुआ प्रवास 

 विजापुर, मेहसाणा (गुजरात)। मानव-मानव के कल्याण के लिए गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, आचार्यश्री महाश्रमणजी ने शनिवार को प्रातः की मंगल बेला में महुदी स्थित प्रसिद्ध जैन मंदिर से गतिमान हुए तो आचार्यश्री के चरणों में अपने कृतज्ञ भावों को व्यक्त करने के लिए महुडीवासी भी उपस्थित थे। सभी को आशीष प्रदान करते आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर गतिमान हुए। मार्ग के आने वाले गांवों के ग्रामीणों को आचार्यश्री के दर्शन और आशीर्वाद का लाभ प्राप्त हुआ। जनमानस दिन-दिन प्रतिदिन बढ़ती गर्मी जहां आमलोगों को परेशान करने में सक्षम थी, वहीं गर्मी आचार्यश्री के बढ़ते चरणों को रोकने में नाकाम थी। विहार के दौरान आचार्यश्री गांधीनगर जिले की सीमा से मेहसाणा जिले में प्रवेश किया। प्राकृतिक प्रतिकूलताओं में भी अनवरत गतिमान आचार्यश्री दस किलोमीटर का विहार कर विजापुर नगर में पधारे तो श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा। आचार्यश्री के स्वागत में तेरापंथ ही नहीं, अपितु अन्य जैन एवं जैनेतर जनता भी सोल्लास उपस्थित थी। आचार्यश्री की अगवानी में वर्धमान स्थानकवासी श्रमण संघ के उपप्रवर्तक श्री गौतममुनि गुणागारजी आदि संत भी पहुंचे। उन्होंने आचार्यश्री को वंदन कर हार्दिक स्वागत किया तो जैन समाज की एकता मानों मुखरित होने लगी। भव्य जुलूस के साथ आचार्यश्री विजापुर नगर से होते हुए मूर्तिपूजक समाज के श्रीमद् बुद्धिसागरसूरी जैन समाधि मंदिर स्थित पार्श्वनाथ मंदिर में पधारे। तेरापंथ के आचार्य का शुभागमन, वर्धमान स्थानकवासी श्रमण संघ के संतों द्वारा अगवानी और मूर्तिपूजक के स्थान में पड़ाव आचार्यश्री की सद्भावना की भावना को प्रतिष्ठापूर्ण तरीके से धरातल पर स्थापित कर रहे थे। 

मंदिर परिसर के एक सभागार में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के साथ वर्धमान स्थानकवासी श्रमण संघ के उपप्रवर्तक गौतममुनिजी, विनयमुनिजी आदि संत भी विराजमान थे। आचार्यश्री के मंगल महामंत्रोच्चार से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ। विजापुर-ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। उपप्रवर्तक गौतममुनिजी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी के शुभागमन से विजापुर की धरा आज धन्य हो गई। आज के परम पावन माहौल में आचार्यश्री का हार्दिक अभिनंदन-वंदन करता हूं। आपके दर्शन से मन गदगद हो गया। उन्होंने आचार्यश्री के स्वागत में एक गीत का संगान भी किया। 

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जीवन में सद्गुणों का विकास हो तो जीवन सुरभित हो सकता है। जीवन में विकास करना आवश्यक होता है, किन्तु विकास की दिशा का सही होना भी अति आवश्यक होता है। सही दिशा होने वाला विकास भी जीवन के लिए कल्याणकारी हो सकता है। मानव-मानव के विकास के साथ बालपीढ़ी को भी सुसंस्कारी बनाने के लिए परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी ने ज्ञानशाला का विकास किया। परम पूज्य आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने जीवन-विज्ञान, प्रेक्षाध्यान प्रदान किया। ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों को अच्छे संस्कारों से भावित किया जाता है। आदमी की बुद्धि शुद्ध होती है तो चित्त भी शुद्ध होता है। 

आचार्यश्री के आगमन से हर्षित विजापुर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष श्री कन्हैयालाल चावत, स्थानकवासी समाज के अध्यक्ष श्री शांतिलाल दक, मूर्तिपूजक समाज के श्री हितेन्द्र भाई शाह व श्री मोहनलाल सुकलेचा ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ युवक परिषद, तेरापंथ कन्या मण्डल, वर्धमान स्थानकवासी महिला ने अपने-अपने स्वागत गीत का संगान किया। आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में उपस्थित कुछ श्रद्धालुओं ने वर्षीतप का प्रत्याख्यान भी श्रीमुख से स्वीकार किया।    

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