मदुरै।राजस्थान गुजरात समेत अनेक राज्यों में पैदल विहारी जैन साधु साध्वी सड़क मार्ग पर वाहनों की टक्कर से घायल अथवा काल कलवित अथवा घायल हो जाते है।शनिवार को तमिलनाडु के कन्याकुमारी की और विहार कर रहे जैन साध्वियों का सर्विस रोड पर चलते हुए पीछे से आ रहे ट्रक ने विहार के दौरान टक्कर मार दी।जिसमे एक साध्वीजी की तो घटनास्थल पर ही दर्दनाक मौत हो गई जबकि दो घायल हो गई।
प्राप्त जानकारी अनुसार शनिवार प्रातः लगभग 5:30 बजे नागनेरी, जो भारत के दक्षिण में अंतिम टोल टैक्स है, उसी के पास श्रमण संघ की उपप्रवर्तनी राजस्थान सिंहनी गुरुणी चारित्र प्रभा जी मा. सा.की सुशिष्या रुचिकाजी मा.सा.का का देवलोक गमन हो गया।अस्पताल में मौजूद श्रावक द्वारा मिली जानकारी अनुसार ट्रक चालक ने लापरवाही से ट्रक चलाते हुवे पीछे टक्कर मार दी,जिससे कन्याकुमारी की ओर बढ़ रही दोनों साध्वी तथा एक व्हीलचेयर को चला रहे सेविका के साथ तीनों उसकी चपेट में आ गए। उनकी शिष्या जिनाज्ञा श्रीजी मा.सा.गंभीर घायल होकर आईसीयू में भर्ती है ।इसमें सबसे हैरानी की बात है कि दोनों साध्वी सर्विस रोड पर चल रही थी। रात को विलियुर में ठहरे थे और सुबह मात्र 300 मीटर का ही अभी विहार हुआ था और सर्विस रोड पर चलते हुए पीछे से आ रहे ट्रक ने टक्कर मार दी थी। यह सचमुच बेहद चिंताजनक बात है और उनके साथ अन्य कोई नहीं चल रहा था। जानकारी के अनुसार जगह साधु साध्वियों के लिए विहार मार्ग में जगह जगह 15 किलोमीटर अंतराल में कल्याणजी आनंदजी ट्रस्ट द्वारा हाईवे धाम बनाए हुए हैं।जहां पर ठहरते हुए आगे बढ़ते जाते हैं।
दोनों साध्वी कन्याकुमारी मंदिर में हर वर्ष की तरह 28 फरवरी को लगाने के कार्यक्रम के लिए जा रही थी और आज प्रातः यह गंभीर दुर्घटना हो गई, जो कन्याकुमारी से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर थी। ट्रक वाला, ट्रक के साथ मौके से तुरंत फरार हो गया और एक बार फिर जैन संतों की विहार में दुर्घटना का एक नया अध्याय जुड़ गया है।पुलिस घटना जांच कर रही है।
साध्वी डॉ रुचिकाश्री का अंतिम संस्कार तिरूनेलवेली में रविवार (19 फरवरी) को किया जाएगा। मौके पर काफी संख्या में जैन समाज के महानुभाव भी वहां पहुँचे। यात्रा में साथ चल रहे साध्वी जिनाज्ञा श्री (30 वर्ष) भी गंभीर रूप से चोटग्रस्त हुईं, साथ ही व्हील चेयर सेविका भी घायल हुईं हैं। इन्हें ज्यादा चोट लगने के कारण तिरूनेलवेली के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया है। देवलोकवासी साध्वी 42 वर्ष से संयम जीवन में थीं।
जीवन परिचय
जम्मू में 8 अगस्त 1961 को खत्री परिवार माता राजरानी और पिता मणीराम के घर जन्मी शांताकुमारी ने 30 अप्रैल 1980 को उपाध्याय श्री पुष्कर मुनि से जैन दीक्षा ग्रहण कर साध्वी उपप्रवतिनि चारित्र प्रभा की शिष्या बनी। साध्वी रुचिका ने 1983 में जयपुर विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए व 1993 में मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय से प्राकृत में पुनः एम.ए की परीक्षा उत्तीर्ण की। वर्ष 2005 में सुखाडिया विश्वविद्यालय से ही जैन सूत्र “जीवाभिगम” पर पी.एच.डी की उपाधि प्राप्त की। उदयपुर क्षेत्र में साध्वी श्री का विचरण अधिक रहा था।
साध्वी डॉ.रुचिकाश्री के स्वर्गवास से समूचे जैन समाज में शोक की लहर छा गई। इस अवसर पर श्रमण संघीय आचार्य शिव मुनि,उपाध्याय रमेश मुनि, महाश्रमण काव्यतीर्थ जिनेंद्र मुनि,राजस्थान प्रवर्तक डॉ. राजेंद्र मुनि, श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि, उपप्रवर्तक नरेश मुनि,उपप्रवर्तिनी साध्वी चंदनबाला,महासाध्वी प्रियदर्शना,साध्वी सत्यप्रभा, उपप्रवर्तिनी साध्वी डॉ.दिव्यप्रभा, साध्वी संयमप्रभा,साध्वी मंगलज्योति,साध्वी डॉ. दर्शनप्रभा, साध्वी डॉ.हर्षप्रभा,साध्वी डॉ.सुलक्षनप्रभा, साध्वी शुभजी,साध्वी डॉ. प्रतिभा,आभाश्री सहित अनेक साधु - साध्वियो साध्वी डॉ रुचिकाश्री को स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।