सूरत। कलयुग में कुछ भी हो सकता है।लेकिन जिस तरह की खबरें इन दिनों आ रही है उससे कहा जा सकता है कि ये ‘ठगयुग’ है।देश में लोगों को ठगने के लिए ठग कई तरह के तरीके इजात कर रहे हैं।ऐसी ही कहानी गुजरात के सूरत से सामने आई है।सूरत पुलिस ने गुरुवार को एक ऐसे रैकेट का भंडाफोड़ किया है, जिसमें फर्जी मेडिकल डिग्री बेची जा रही थी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें मास्टरमाइंड और फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर ‘डॉक्टर’ के तौर पर काम करने वाले लोग शामिल हैं।पुलिस ने बताया कि इन फर्जी डॉक्टरों ने कथित तौर पर 60,000 से 80,000 रुपये देकर डिग्री पत्र खरीदे थे।उन्होंने बताया कि अधिकांश आरोपी बड़ी मुश्किल से 12वीं बोर्ड परीक्षा पास कर पाए थे।
मामले के मास्टरमाइंड की पहचान सूरत निवासी रसेश गुजराती के रूप में हुई है, जो सह-आरोपी बी के रावत की मदद से फर्जी डिग्री जारी करता था।पता चला है कि उन्होंने पिछले कुछ सालों में कई लोगों को 1,500 से ज़्यादा ऐसी फर्जी डिग्रियां जारी की हैं। शहर के पांडेसरा इलाके में छापेमारी के बाद ये गिरफ्तारियां की गईं, जहां से क्लीनिक चलाने वाले कई आरोपियों को पकड़ा गया। वे बैचलर ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथी मेडिकल साइंस (बीईएमएस) सर्टिफिकेट की फर्जी डिग्री के आधार पर प्रैक्टिस कर रहे थे, जो गुजराती और दूसरे आरोपी की पहचान अहमदाबाद निवासी बीके रावत के रूप में हुई है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपी बिना किसी जानकारी या प्रशिक्षण के एलोपैथिक दवाइयां दे रहे थे।शक है कि राज्य भर में ऐसे सैकड़ों फर्जी डॉक्टर क्लीनिक चला रहे हैं। जांच में पता चला है कि गिरोह डॉक्टरों के क्लीनिकों में काम करने वाले लोगों की पहचान करता था और उन्हें अपना क्लीनिक खोलने के लिए सर्टिफिकेट देने की पेशकश करता था। सर्टिफिकेट 60,000 से 80,000 रुपये में दिए जाते थे. शुरुआत में इच्छुक व्यक्ति को बताया जाता था कि उसे ढाई साल का प्रशिक्षण लेना होगा, लेकिन यह केवल दिखावा होता था,क्योंकि किसी ने कभी वह प्रशिक्षण नहीं लिया था।