पुत्र की जिम्मेदारी लेते हुवे पिता ने दिए थे अपने नाम के चेक कोर्ट ने सुनाई सजा
चेक रिटर्न के एक मामले में निचली कोर्ट के फैसले के खिलाफ आरोपी द्वारा दायर की गई अपील अर्जी को सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी और निचली कोर्ट ने सुनाई सजा के फैसले को सही ठहराया है। इस मामले में पुत्र की जिम्मेदारी स्वीकारते हुए पिता ने अपने चेक दिए थे। अभियोजन पक्ष के
अधिवक्ता विनय आर. शुक्ला के मुताबिक, आरोपी के पुत्र अभिषेक मंत्री कपड़ा व्यापारी था। उसने रजनी जोगिंदर जुनेजा की फर्म रितिक सिल्क मिल्स से 55,29,435 रुपए का माल उधार लिया था। इसमें से बकाया 33,95,433 रुपए की जिम्मेदारी लेते हुए पिता कमल मंत्री ने अपने हस्ताक्षर के साथ 18,23, 128 रुपए के चेक लिखकर दिए थे। चेक बैंक में जमा कराने पर रिटर्न हो गए थे। जिस पर रजनी जुनेजा ने कमल मंत्री के खिलाफ कोर्ट में शिकायत की थी। सुनवाई के दौरान आरोपी ने अपने बचाव में कहा था कि उसके पुत्र ने उसे बताए
बिना चेक दिए थे। इस लेन-देन की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इस बचाव के तर्क को कोर्ट ने ग्राह्य नहीं रखा और कमल मंत्री को दोषी करार देते हुए एक साल की कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को कमल मंत्री ने जिला न्यायालय में चुनौती दी थी। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अधिवक्ता विनय आर. शुक्ला पेश हुए और दलीलें पेश की। अंतिम सुनवाई के बाद अधिवक्ता विनय शुक्ला की दलीलों को ध्यान में रखते हुए जिला न्यायालय ने आरोपी की अपील अर्जी रद्द कर दी और निचली कोर्ट ने सुनाई एक साल की कैद की सजा को बरकरार रखा।