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चतुर्विध धर्मसंघ में बनी रहे आध्यात्मिक सेवा भावना : तेरापंथाधिशास्ता महाश्रमण

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 भुज की धरा पर प्रारम्भ हुआ मर्यादा का महाकुम्भ ‘161वां मर्यादा महोत्सव’

-गुजरात का प्रथम मर्यादा महोत्सव भुज के स्मृतिवन में हुआ समायोजित 

-सेवाकेन्द्रों पर आचार्यश्री ने की नियुक्तियां, सेवा को समर्पित रहा प्रथम दिवस 

-अनेक कृतियां व जयतिथि पत्रक आचार्यश्री के समक्ष हुए लोकार्पित

-करीब चार घंटे तक चलता रहा मर्यादा महोत्सव का कार्यक्रम

02.02.2025, रविवार,भुज, कच्छ।इस समय एक ओर जहां सनातन परंपरा में भारत के उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में महाकुम्भ में बसंत पंचमी के अवसर पर अमृत स्नान हो रहा है तो दूसरी ओर भारत के पश्चिम भाग में स्थित गुजरात प्रदेश के कच्छ जिले के भुज नगर में जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, युगप्रधान, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में भुज में बने स्मृतिवन (जिसे वर्ष 2001 में आए भूकंप में हताहत हुए लोगों की स्मृति में बनाया गया है।) के परिसर में बने जय मर्यादा समवसरण में गुजरात के प्रथम मर्यादा महोत्सव व तेरापंथ धर्मसंघ की परंपरा का 161वां मर्यादा का महाकुम्भ मर्यादा महोत्सव का महामंगल शुभारम्भ हुआ। जय मर्यादा समवसरण के विशाल पण्डाल में श्रद्धा का पारावार उमड़ आया था। उपस्थित था तेरापंथ धर्मसंघ का चतुर्विध धर्मसंघ। मंच के मध्य दोपहर लगभग 12.15 बजे से कुछ समय पूर्व तेरापंथाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी विराजमान हुए तो श्रद्धालुओं के बुलंद जयघोष से पूरा स्मृतिवन गुंजायमान हो उठा। 

 

महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगलमहामंत्रोच्चार करने के उपरान्त तेरापंथ धर्मसंघ के आद्य अनुशास्ता आचार्यश्री भिक्षु व श्रीमज्जयाचार्यजी का सश्रद्धा स्मरण करते हुए 161वें मर्यादा महोत्सव के त्रिदिवसीय कार्यक्रम के शुभारम्भ की घोषणा की। तत्पश्चात आचार्यश्री ने मर्यादा महोत्सव के आधार पत्र ‘मर्यादा पत्र’ को स्थापित किया और इसके साथ ही प्रारम्भ हो गया गुजरात में समायोजित प्रथम मर्यादा महोत्सव का भव्य कार्यक्रम। चतुर्विध धर्मसंघ ने जयघोष करने के उपरान्त मुनि दिनेशकुमारजी के नेतृत्व में मर्यादा गीत का संगान किया गया। 

उपासक श्रेणी ने गीत का संगान किया। मर्यादा महोत्सव व्यवस्था समिति-भुज के स्वागताध्यक्ष श्री नरेन्द्रभाई मेहता ने अपनी अभिव्यक्ति दी। सेवा के लिए समर्पित इस प्रथम दिवस पर साध्वीवृंद की ओर से साध्वी मुदितयशाजी ने आचार्यश्री से सेवा में नियोजित करने की प्रार्थना की तो मुनिवृंद की ओर मुनि कुमारश्रमणजी ने सेवा में नियोजित करने की प्रार्थना की। 

तदुपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को तेरापंथ धर्मसंघ में सेवा के महत्त्व को व्याख्यायित किया। 161वें मर्यादा महोत्सव के प्रथम दिवस पर तेरापंथाधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने उपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि आज जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ का मर्यादा महोत्सव का त्रिदिवसीय समारोह शुरु हुआ है। बसंतपंचमी के दिन से यह समारोह शुरु होता है। इसके प्रथम दिन सेवा की बात होती है। सेवा एक धर्म है। सेवा से कितना पुण्योपार्जन हो सकता है। सेवा के अनेक प्रकार हो सकते हैं। किसी की शारीरिक सेवा करना, वृद्ध को सहारा देना, भोजन देना, दवाई देना, किसी के शरीर की सार-संभाल करना। आज की बात शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक सेवा करने की बात है। वैय्यावृत्त के रूप में सेवा के अलावा अन्य प्रकार से भी सेवा की जा सकती है। प्रवचन करना भी एक प्रकार की सेवा है। साधु-साध्वियां न्यारा में रहें तो आठ प्रहर में एक बार व्याख्यान देने का प्रयास करना चाहिए। परम पूज्य आचार्यश्री तुलसी के समय तो माईक आदि की व्यवस्था भी नहीं होती थी, तब भी वे प्रतिदिन प्रवचन किया करते थे। आज कई साधु-साध्वियों का दीक्षा दिवस है तो दीक्षा देना भी एक प्रकार की सेवा है। मुनिकुमारश्रमणजी के निमित्त से दीक्षा की बात याद आ गई। 

गुरुदेव तुलसी प्रवचन करते थे। वे अध्यापन भी कराते थे। ग्रंथ पढ़ाना, वर्तनी शुद्ध कराना, साधु-साध्वी के सेवा की व्यवस्था। धर्मसंघ की सेवा करना। साधु-साध्वियों की पृच्छा करना। समाज की संस्थाओं की भी सेवा करते थे और फिर यात्रा करना। आचार्यश्री तुलसी पहली बार कोलकाता और दक्षिण भारत पधारे थे। उनसे पहले हमारे धर्मसंघ में कोई भी आचार्य न कोलकाता पधारे और न ही दक्षिण भारत पधारे थे। पारमार्थिक शिक्षण संस्था की मुमुक्षु बाइयों को संभालना भी अच्छी सेवा है। साध्वीवर्या और अनेक समणियां भी इस कार्य से जुड़ी हुई हैं। समाज के लोग अपने ढंग से ध्यान दे लेते हैं। इनकी सेवा करना भी अच्छी बात होती है। मुमुक्षु की संख्या वृद्धि का प्रयास जितना संभव हो सके, करने का प्रयास करना चाहिए। 

आचार्यश्री ने सेवाकेन्द्रों पर सेवा की नियुक्ति का क्रम प्रारम्भ करते हुए कहा कि लाडनूं सेवाकेन्द्र (साध्वीवृंद) में साध्वी कार्तिकयशाजी के ग्रुप को सेवा के लिए नियोजित किया। बीदासर समाधिकेन्द्र में साध्वी मंजुयशाजी के ग्रुप को नियुक्त किया। श्रीडूंगरगढ़ सेवाकेन्द्र में साध्वी संगीतश्रीजी व साध्वी परमप्रभाजी के ग्रुप को नियोजित किया। गंगाशहर सेवाकेन्द्र में साध्वी विशदप्रभाजी व साध्वी लब्धियशाजी के ग्रुप को तथा हिसार उपसेवाकेन्द्र में साध्वी शुभप्रभाजी के गुप को सेवा के लिए नियोजित किया। संतों के सेवाकेन्द्र में छापर सेवाकेन्द्र के लिए मुनि देवेन्द्रकुमारजी के ग्रुप को तथा जैन विश्व भारती, लाडनूं में मुनिश्री विजयकुमारजी स्वामी के ग्रुप के साथ मुनि तन्मयकुमार व मुनि कांतिकुमारजी को सेवा के लिए नियुक्त किया। आचार्यश्री ने गंगाशहर में सेवा के लिए मुनिश्री कमलकुमारजी स्वामी के ग्रुप को सेवा के लिए नियुक्ति देने के साथ-साथ गंगाशहर की अच्छी सार-संभाल करने की अभिप्रेरणा भी प्रदान की। 

तदुपरान्त आचार्यश्री ने समस्त साधु-साध्वियों को सेवा की भावना को पुष्ट बनाए रखने की प्रेरणा भी प्रदान की। सेवा का संस्कार सभी में अच्छे रूप में बने रहें। श्रावक समाज भी कितनी सेवा देते हैं। दवा, चिकित्सा आदि के अलावा साधु-साध्वियों की यात्रा व्यवस्था में साथ चलना, डेरों आदि में रहते हैं। सभी में आध्यात्मिक सेवा की भावना बनी रहे। 

जैन विश्व भारती के द्वारा प्रकाशित आचार्यश्री की कृति ‘छह बातें ज्ञान की’, समणी कुसुमप्रज्ञाजी के सहयोग से ‘प्रकिर्णक संचय’ तथा जय तिथि पत्रक आदि आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित की गई। मित्र परिषद, कोलकाता द्वारा तिथि दर्पण को भी आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया गया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। समणी कुसुमप्रज्ञाजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। ‘बेटी तेरापंथ की’ की सदस्याओं ने गीत का संगान किया। आचार्यश्री ने बेटियों को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। 

आज के कार्यक्रम में स्थानकवासी समुदाय की साध्वीजी भी आई थीं। आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। ‘जो प्राप्त है, वह पर्याप्त है’ नामक ग्रंथ को छाजेड़ परिवार द्वारा आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया गया। श्रीडूंगरगढ़ छाजेड़ परिवार की बहू-बेटियों ने गीत का संगान किया। डॉ. शांताबेन, विकास परिषद के सदस्य श्री पदमचंद पटावरी तथा श्रीमती मनीषा छाजेड़ ने ग्रंथ के संदर्भ में अपनी अभिव्यक्ति दी। 

आचार्यश्री ने इस ग्रंथ के संदर्भ में कहा कि संघसेवी स्व. कन्हैयालाल छाजेड़ के स्मृति ग्रंथ के संदर्भ में आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि इससे पाठकों को अच्छी प्रेरणा मिले। इनके परिवार में अच्छे धार्मिक संस्कार पुष्ट होते रहें।

भारतीय जनता पार्टी के कच्छ जिलाध्यक्ष श्री देवजी भाई अहीर ने आचार्यश्री के दर्शन कर अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। स्मृतिवन के डायरेक्टर श्री पाण्डेयजी, अमृतवाणी के अध्यक्ष श्री ललित दुगड़, श्री मदनलाल तातेड़, आचार्य भिक्षु समाधि स्थल संस्थान, सिरियारी की ओर से श्री मर्यादा कोठारी, आचार्यश्री तुलसी शांति प्रतिष्ठा, गंगाशहर की ओर से श्री हंसराज डागा, प्रेक्षा विश्व भारती के श्री भेरुभाई चौपड़ा, प्रेक्षा इंटरनेशनल के अध्यक्ष श्री अरविंद संचेती ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री के मंगलपाठ से मर्यादा महोत्सव के प्रथम दिवस का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया। लगभग चार घंटे तक चले इस कार्यक्रम को आदिनाथ चैनल व तेरापंथ के यूट्यूब चैनल ‘तेरापंथ’ पर लाइव किया गया। जिससे देश व विदेश में बैठे श्रद्धालु लाभान्वित हुए।

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