-माधापर प्रवास के दूसरे दिन आचार्यश्री ने श्रद्धालुओं को दी पावन प्रेरणा
-श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री के चरणों में अर्पित की विनयांजलि
29.01.2025,माधापर,कच्छ।गुजरात के कच्छ की धरा को पावन बनाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी द्विदिवसीय प्रवास माधापर में निर्धारित इस मंगल प्रवास के दूसरे दिन अर्थात् बुधवार को सूर्योदय से भी पूर्व ही जो भक्तों की भीड़ पूज्य सन्निधि में उपस्थित हुई, वह मंगल प्रवचन के उपरान्त भी इस सुअवसर का लाभ उठाने को आतुर दिखाई दे रही थी।
प्रातःकाल की मंगल बेला में आयोजित होने वाला मुख्य प्रवचन कार्यक्रम भी अपने निर्धारित समय पर प्रारम्भ हुआ। अपने आराध्य के वचनामृत का श्रवण करने को उमड़ी जनता से पण्डाल जनाकीर्ण बना हुआ था। माधापरवासियों को शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि दसवेआलियं के विभिन्न अध्ययनों से अनेक-अनेक जानकारियां और प्रेरणाएं प्राप्त होती हैं। कई अध्ययनों से तात्त्विक अवबोध भी प्राप्त होते हैं। कई अध्ययन प्रश्नोत्तरी के रूप में भी हैं। कहीं घटना, प्रसंग, शिक्षण, प्रशिक्षण तथा कहीं अध्यात्म का दिशा-दर्शन भी प्राप्त होता है। दसवें अध्ययन में गौतम के नाम एक गरिमामय संदेश है। वह भले ही एक व्यक्ति को लक्ष्य करके बताया जाता है, लेकिन वह अनेकानेक व्यक्तियों के लिए हितकर संदेश होता है।
समय मात्र भी प्रमाद नहीं करने जैसा संदेश मानव-मानव के लिए हितकर है। अंग्रेजी भाषा का एक सूक्त है कि ‘टाईम इज मनी’ समय बहुत बड़ा धन है। समय बहुत मूल्यवान है। इतनी कीमती चीज आदमी को प्रतिदिन मुफ्त में प्राप्त होता है। आदमी को समय का अंकन करना चाहिए। आदमी को समय का बढ़िया उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। जो आदमी अपने समय का बढ़िया उपयोग करता है, वह बढिया आदमी होता है और जो अपने समय का खराब उपयोग करता है, वह घटिया आदमी होता है। इसलिए आदमी को एक दिनांक में चौबीस घण्टे प्राप्त होते हैं। इसमें आदमी क्या बढ़िया उपयोग करता है, इस पर चिंतन करने का प्रयास करना चाहिए। कुछ समय खाने, पीने, सोने आदि नित्य कार्यों में चला जाता है, लेकिन शेष समय को व्यर्थ नहीं देना चाहिए। मेघ जब बरसता है तो चारों ओर सामान्य रूप से बरसता है। कोई उस पानी को बाल्टी में, कोई कुण्ड में और कोई पानी नाले में चला जाता है। पानी तो बरसा, लेकिन प्रयोगकर्ताओं ने उस पानी को किस तरह संरक्षित किया, यह विशेष बात है।
कितना जीवन जीना यह हाथ की बात नहीं, कैसा जीवन जीना चाहिए, यह तो आदमी के हाथ की बात होती है। आदमी का जन्मदिन आता है, तो मानना चाहिए कि उसके आयुष्य का एक वर्ष कम हो गया। आदमी को प्रतिदिन उठकर यह चिंतन करना चाहिए कि आज मैंने क्या धर्म का कार्य किया। आदमी को समय को फलवान और सुफल बनाने का प्रयास करना चाहिए। उसके लिए आदमी को बढ़िया कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। जैन धर्म के हिसाब से देखें तो आदमी सोचे कि आज सामायिक किया या नहीं। जितना हो सके, आदमी को अच्छा धार्मिक कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। जिस प्रकार कुश के अग्र भाग पर लटकी हुई ओस की बूंद कभी भी गिर कर समाप्त हो जाती है, उसी प्रकार आदमी का जीवन भी कभी भी समाप्त हो सकता है, इसलिए आदमी को समय मात्र भी प्रमाद करने से बचने प्रयास करना चाहिए। आदमी को समय अच्छा प्रबन्धन करने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वी गौरवयशाजी व साध्वी नवीनप्रभाजी ने श्रीचरणों में अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। स्थानीय सभा के अध्यक्ष श्री संजय संघवी, श्री जीतू भाई भाभेरा व श्री शशिकांत भाई भाभेरा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। सुश्री झील ने गीत का संगान किया। दिप्ती और रिया ने भी गीत का संगान किया। अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी द्वारा पूज्य सन्निधि में एक बैनर लोकार्पित किया गया। संघवी परिवार की महिलाओं ने गीत का संगान किया।