- सामाजिक सुधार के लिए गुरुदेव ने दी हृदय परिवर्तन की प्रेरणा*
- शांतिदूत के दर्शनार्थ पहुंचे सूरत के डीसीपी भगीरथ सिंह गढ़वी
उधना, सूरत।जिनके पावन आभावलय की सन्निधि प्राप्त कर हर आगंतुक अपने भीतर एक असीम शांति का अनुभव करता है, जिनके चरणों का स्पर्श प्राप्त कर कर हर दर्शनार्थी अपने आपको ऊर्जा से ओतप्रोत महसूस करते है। ऐसे अध्यात्म सुमेरु युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन प्रवास से उधना वासी लाभान्वित हो रहे है। उधना प्रवास के दौरान द्वितीय दिन गुरुदेव ने प्रातःभ्रमण के दौरान श्रद्धालुओं को आशीष प्रदान किया। प्रातः चार बजे से ही सामायिक, अर्हत वंदना, वृहद मंगलपाठ का श्रावक समाज तेरापंथ भवन में बड़ी संख्या में उपस्थित हो रहा था। आराध्य के प्रवास का उधना वासी हर क्षण का लाभ उठा रहे है। मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में भी विशाल जनमेदिनी गुरुदेव के प्रेरणा पाथेय से लाभान्वित हुई।
मंगल प्रवचन में उद्बोधन प्रदान करते हुए आचार्य श्री ने कहा - सम्यकत्व से बड़ा कोई रत्न नहीं होता। जीव–अजीव, पुण्य–पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध और मोक्ष ये नौ तत्व है जिनकी सही समझ व्यक्ति हो होनी चाहिए। जैसे जीव चैतन्यवान होता, अजीव उसके विपरीत अचैतन्य है। पुण्य–पाप रूपी बंध जीव के होता है। आश्रव रूपी कर्म द्वार को संवर द्वारा रोक कर जीव तपस्या, साधना द्वारा निर्जरा कर सकता है। और जब आत्मा सर्व कर्मों से मुक्त हो जाती है तब वह मोक्ष को प्राप्त करती है। तीर्थंकर धर्म के मूल प्रवक्ता होते है। वर्तमान में तीर्थंकर प्रभु प्रत्यक्ष विद्यमान नहीं है तो आचार्य उनके प्रतिनिधि रूप है।
गुरुदेव ने दृष्टांत के माध्यम से आगे बताया कि सम्यकत्व की प्राप्ति के लिए नौ तत्व, देव, गुरू, धर्म पर श्रद्धा आवश्य है। सम्यत्व के समान न कोई दूसरा मित्र है, न भाई, ना ही इससे बढ़कर कुछ लाभ है। वर्तमान मनुष्य जीवन को अच्छा बनाने के लिए हमें नशा, गुस्सा व छल-कपट, हिंसा, अपराध आदि से बचना आवश्यक है। हृदय परिवर्तन और व्यवस्था तंत्र इन दोनों का योग होता है। माना कि अंधकार है घना तो दीपक जलाना भी कब है मना। कार्य करते रहे तो सुधार की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। संत समाज के हृदय परिवर्तन का कार्य करते है तो पुलिस आदि कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए है। पुलिस मानों अपराध की दुश्मन है। नैतिकता, नशामुक्ति से समाज में अच्छा बदलाव लाया जा सकता है।
कार्यक्रम में सूरत के डीसीपी श्री भगीरथ सिंह गढ़वी ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। मुनि वीतराग कुमार जी, समणी हर्ष प्रज्ञा जी ने आराध्य का अभिनंदन किया। तेयुप उधना अध्यक्ष श्री गौतम आंचलिया ने वक्तव्य दिया। महिला मंडल की बहनों ने स्वागत गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने काव्य में प्रस्तुति दी।