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उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में लागू होगा UCC, सीएम भूपेन्द्र पटेल ने किया कमेटी का ऐलान

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अहमदाबाद।उत्तराखंड के बाद अब गुजरात में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होगा।गुजरात के सीएम भूपेन्द्र पटेल ने प्रेस वार्ता करके जानकारी साझा की है और 5 सदस्यी कमेटी का गठन किया है। यह कमिटी 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल का कहना है, “समान नागरिक संहिता" (UCC) का मसौदा तैयार करने और कानून बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति 45 दिनों में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर सरकार निर्णय लेगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार,हाल ही में गुजरात में अभियोजन विभाग को न्याय मंत्रालय के बजाय गृह मंत्रालय के अधीन लाए जाने के बाद अब राज्य में गृह मंत्रालय से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। राज्य में इस समय दो महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा में हैं। मुख्यमंत्री और गृह राज्य मंत्री ने हाल ही में दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक बैठक में भाग लिया, जिसमें नई भारतीय न्यायिक आचार संहिता सहित तीन महत्वपूर्ण कानूनों के कार्यान्वयन पर चर्चा की गई। इसमें गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य सरकार की पीठ थपथपाने के बजाय यह कहा कि गुजरात में इस कानून का क्रियान्वयन शुरू हो चुका है। जो 1 अप्रैल 2025 से पूरी तरह प्रभावी हो जाएगा।

दूसरी ओर, जिस तरह उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू हो गई है, अब संकेत मिल रहे हैं कि गुजरात में भी इसे लागू किया जा रहा है और राज्य सरकार इसके लिए एक समिति के गठन की घोषणा करेगी। इसके लिए राज्य सरकार एक समिति बनाएगी, इसके लिए मसौदा नीतियां जारी करेगी, लोगों से सुझाव आमंत्रित करेगी और बाद में इस संबंध में एक कानून बनाकर राज्य में लागू करने की तैयारी करेगी। गुजरात ने पहले ही इसकी घोषणा कर दी है और यह उत्तराखंड के बाद समान नागरिक संहिता लागू करने वाला दूसरा राज्य बनने की संभावना है।

गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "समिति द्वारा 45 दिनों के भीतर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी।" सरकार इस समीक्षा के बाद उचित निर्णय लेगी। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कि किसी भी जाति या समुदाय को नुकसान न पहुंचे। यह सुनिश्चित करने के लिए विशेष ध्यान रखा जाएगा कि जनजातीय समुदाय को कोई नुकसान न पहुंचे। यह कानून किसी एक समुदाय के लिए नहीं लाया जा रहा है, यह निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून हों।

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