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सोलह संस्कारों में मुख्य संस्कार है विवाह : संत शम्भू शरण लाटा

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संतों के आशीर्वाद और श्राप दोनों में ही भक्त का कल्याण समाहित  

विवाह सोलह संस्कारों में मुख्य संस्कार है। यह उद्गार संत शम्भूरण लाटा ने शुक्रवार को सिटीलाइट स्थित अवधपुरी में श्री राम कथा में श्री सीताराम विवाह प्रसंग के दरमयान व्यक्त किए। अग्रवाल समाज ट्रस्ट एवं श्री लक्ष्मी नाथ सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री राम कथा में दोपहर के बाद से ही भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है। संत लाटाजी ने कहा कि विवाह निर्धारित मुहूर्त में ही होना चाहिए। आज के समय में विवाह के समय तरह -तरह के आडम्बर के कारण असली मुहूर्त निकल जाता है। समाज के लोगों को इस पर ध्यान देने की जरूरत है। इसमें भी बारात गो धूलि बेला में पहुँच जानी चाहिए। इसी प्रकार जन्मदिन पर केक काटने की परंपरा को भारतीय संस्कृति के विरुद्ध बताया। उन्होंने कहा कि दीप प्रज्ज्वलित कर जन्मदिन मनाना हमारे शास्त्रों के अनुरूप है। ब्राह्मणों को बुलाकर रुद्राभिषेक , सुन्दरकाण्ड का पाठ करना सबसे उत्तम है। 

 आज के समय में बड़े बुजुर्गों की वर्तमान स्थिति पर बताया कि वे अपने ही घर में अन्ततः की स्थिति में जी रहे हैं। यह समय के लिए घातक है। जहां धर्म है वहीँ विजय है। संतों के आशीर्वाद और श्राप दोनों में ही भक्त का कल्याण समाहित है। एक बहुत ही महत्त्व की बात संतजी ने बताई कि भगवान को सिर्फ रामावतार में ही वर (श्रेष्ठ)  अर्थात दूल्हा बनाने का अवसर मिला, इसलिए विवाह संस्कार बहुत ही महत्वपूर्ण है। वर्तमान समय में दूल्हा दाढ़ी रखकर विवाह करने जाता है। यह एक नयी परंपरा प्रचलन में आ गयी है। इसका कोई आधार नहीं है। दूल्हा-दुल्हन के चार फेरे में धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष की शर्त समाहित है। इसी प्रकार सिन्दूर की बहुत ही महिमा बताई। भगवान गणेश, भगवती और हनुमानजी को सिन्दूर चढ़ाया जाता है। भगवाम राम की बारात में सभी देवी -देवता, ऋषि महर्षि सभी अलौकिक विवाह को देखने के लिए दशो दिशाओं से पधार कर उपस्थित हो गए थे।  सभी ने भगवान के युगल विग्रह का जी भरकर दर्शन किया। 

  कथा में - मधुर -मधुर नाम सीताराम सीताराम... दूल्हा बने हैं श्री राम आज मिथिला नगर में, सुन्दर, सलोने, सुखधाम आज मिथिला नगर में.. महाराज दशरथ आज प्रसन्न हैं जिनके चरणों में आज चारो धाम है... जैसे सुमधुर भजनो से पंडाल में बैठे भक्त गण थिरकने लगे।  सीताराम जी के विवाह के प्रसंग पर आज का वातावरण पूरा सीताराम बन गया। इस अवसर पर मुंबई से पधारे श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर के ट्रस्टी कमल पोद्दार, गोविंद सौंथालिया, प्रदीप जालान, ओम प्रकाश झुंझुनूवाला, देवीदत्त पोद्दार आदि महानुभाव सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त श्रीराम कथा का श्रवण किया।  


संत सीता शरण महाराज ने करवाया नवाह्नपारायण पाठ 

राम कथा के दौरान अयोध्या के संत सीता शरण  महाराज प्रतिदिन सुबह श्री रामचरितमानस का संगीतमय नवाह्नपारायण पाठ करवाते हैं। पाठ का महत्त्व बताते हुए उन्होंने कहा कि नवाह्नपारायण पाठ का मूल उद्देश्य व्यक्ति के भीतर भक्ति और श्रद्धा का संचार करना है। इसे एक भक्तिमय वातावरण में किया जाता है, जहां लोग एकत्र होकर प्रभु की लीलाओं और गुणों का गुणगान करते हैं। इस पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। विशेष रूप से सामूहिक रूप से किए गए पाठ में  ऊर्जा का प्रभाव और भी अधिक होता है, जिससे पूरे स्थान का वातावरण भक्तिमय और पवित्र हो जाता है।  यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को सांसारिक मोह-माया से कुछ दिनों के लिए अलग कर आध्यात्मिकता की ओर ले जाती है। भक्त पाठ में लीन होकर ईश्वर का साक्षात्कार करने का प्रयास करता है। नवाह्नपारायण पाठ का महत्व धार्मिक और मानसिक दोनों दृष्टियों से होता है। इसका मुख्य उद्देश्य मन को शुद्ध करना, समाज में शांति और सौहार्द्र का वातावरण बनाना, और लोगों को ईश्वर के प्रति आस्था के मार्ग पर प्रेरित करना है।

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