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कितना जीना की अपेक्षा सोचे कैसे जीना - आचार्य महाश्रमण

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- त्रि दिवसीय अणुव्रत अधिवेशन का हुआ आगाज

- अणुव्रत गौरव पुरस्कार समारोह आयोजित

- आगामी 10 नवंबर को समायोजित है जैन भगवती दीक्षा समारोह

 वेसू,सूरत।नैतिकता, सद्भावना एवं नशामुक्ति के संदेशों से विश्व पटल पर मानवता की अलख जगाने वाले अणुव्रत अनुशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के पावन सान्निध्य में त्रि दिवसीय 75 वें अणुव्रत अधिवेशन का आगाज हुआ। जैसे जैसे अब चातुर्मास संपन्नता के दिन नजदीक आ रहे है सूरत वासी भी युगप्रधान की सन्निधि का पूरा लाभ उठाने तत्पर नजर आ रहे है। आचार्य प्रवर भी श्रद्धालुओं पर कृपा वर्षा करते हुए आसपास के कई अपार्टमेंट्स आदि में पधार कर रहवासियों को पावन सान्निध्य प्रदान करा रहे है। आगामी दिनांक 10 नवंबर को संयम विहार में आचार्य श्री के सान्निध्य में जैन दीक्षा समारोह का भी वृहद आयोजन होना है। जिसमें दीक्षार्थी चंद्रप्रकाश चौपड़ा पूज्य गुरुदेव से मुनि दीक्षा ग्रहण करेंगे।

मंगल प्रवचन में धर्म देशना देते हुए आचार्य श्री ने फरमाया  - चित्त की प्रसन्नता व शांति से जीवन जीना विशेष बात होती है। प्रसन्नता समता की साधना से प्राप्त होती है। लाभ-अलाभ, सुख-दुःख, निंदा-प्रशंसा जैसी किसी परिस्थिति आ जाए व्यक्ति समता में रहे। अनुकूलता की स्थिति में ज्ञाता-दृष्टा भाव रहे। जीवन में जो अनुकूलताएं प्राप्त होती है इसे पुण्य का योग भी माना जा सकता है। पारिवारिक, सामाजिक, व्यापारिक व शारीरिक अनुकूलता का प्राप्त होना भी पुण्य के योग से होता है। पिछले पुण्य की कमाई भोगकर हम क्षय कर रहे हैं पर आगे के लिए हम क्या कर रहे हैं इस पर भी व्यक्ति को विचार करना है व सोचना है कि अपने लक्ष्य के साथ हमने मोक्ष को जोड़ा है या नहीं ? अनुकूलता में भी समता रहे व प्रतिकूलता में भी समता रहे। किसी भी स्थिति को समता से सहन करना एक विशेष उपलब्धि है।

गुरूदेव ने आगे कहा कि गुस्सा व अहंकार न करना भी समता का एक प्रमुख लक्षण है। यदि किसी के पास बहुत पैसा है तो उसका न अभिमान, न दुरुपयोग हो। धन के प्रति ममत्व व मोह का भाव नहीं होकर उसका सदुपयोग व विसर्जन की भावना हो। किसी का चेहरा सुंदर है व शरीर स्वस्थ है तो उसका भी अहंकार न करें। आज जो सुंदर है कल असुंदर व आज जो स्वस्थ है कल बीमार भी हो सकता है। चेहरे की सुन्दरता से व्यक्ति का महत्व नहीं बढ़ता अपितु गुणवत्ता का ज्यादा महत्व होता है। किसी के पास ज्ञान व वक्तृत्व कला है, उसका भी घमंड न हो। व्यक्ति सोचता है कि कितना जीना है उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि कैसे जीना।

इस अवसर पर मुनि मनन कुमार जी ने अपने विचार व्यक्त किए। अणुविभा अध्यक्ष श्री अविनाश नाहर ने भावाभिव्यक्ति दी। अणुविभा से संबद्ध कार्यकर्ताओं ने सामूहिक गीत का संगान किया। पदाधिकारियों ने प्रतिवेदन गुरु चरणों में निवेदित किया। 
अणुव्रत गौरव पुरस्कार समारोह के तहत दिल्ली के श्री कन्हैयालाल पटावरी को यह पुरस्कार अणुविभा द्वारा प्रदत्त किया गया। श्री कन्हैयालाल पटावरी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम में प्रेक्षा इंटरनेशनल के नवमनोनित अध्यक्ष श्री अरविंद संचेती ने वक्तव्य दिया।

 

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