पालघर।महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी श्री डॉ.पीयूष प्रभा जी ठाणा 4 के सान्निध्य में राष्ट्रसंत आचार्य श्री तुलसी का जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा पालघर द्वारा आयोजित किया गया।
इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए साध्वीश्री डॉ. पीयूष प्रभाजी ने कहा बीसवीं सदी के अलोकपुंज व्यक्तित्व का नाम है आचार्य श्री तुलसी। वे मानवता की धरती पर जीवन मूल्यों में विश्वास रखने वाले जन-जन की आस्था के केंद्र थे तो आधुनिका से भी परहेज नहीं करते थे। वे अलबेले योगी, संत,फकीर,प्रशासक,साहित्यकार,संगीतकार व प्रवचनकार थे। उनका जन्म राजस्थान में लाडनू ग्राम में हुआ। उन्होंने मात्र 11 वर्ष की उम्र में अष्टमाचार्य आचार्य कालू गणी के कर कमलों से मुनि दीक्षा स्वीकार की वे 16 वर्ष की उम्र में शिक्षक व 22 वर्ष की उम्र में तेरापंथ के आचार्य बन गए। उन्होंने मुनि जीवन के प्रारंभिक 14 वर्षों में 20 हजार श्लोक कंठस्थ किए।
साध्वी श्री भावना श्री जी ने कहा मानवीय मूल्यों की पुनर्स्थापना एवं चारित्रिक मूल्यों उन्नयन के लिए अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। अणुव्रत केवल आचार संहिता ही नहीं अपितु पूरा जीवन दर्शन है। धर्म और व्यवहार का सेतु है। अणुव्रत निर्विशेषण धर्म है। इसको कोई भी जाति, वर्ग, वर्ण का व्यक्ति स्वीकार कर सकता है।
साध्वी श्री सुधाकुमारी जी ने आचार्य श्री तुलसी पर गीत का संगान किया।
इस अवसर पर साध्वी श्री दीप्तियशा जी ने कहा आचार्य तुलसी दिव्य दृष्टि से सम्पन्न थे। उनका इस राष्ट्र बड़ा उपकार है। वे चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी थे। अणुव्रत आंदोलन के जरिये लाखों लोगों को मानवता का संदेश दिया।मंगलाचरण शांतिलाल जी सिंघवी ने सुमधुर गीतिका द्वारा किया।
इस अवसर पर सभा के मंत्री दिनेश राठौड़, सभा परामर्शक खेलीलाल जी बदामिया, ज्ञानशाला प्रभारी राकेश जी श्रीश्रीमाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी श्री दीप्तियशा जी ने किया। यह जानकारी मीडिया प्रभारी योगेश राठौड़ ने दी।