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जीवन में विनय, विवेक और वात्सल्य जरूरी है : आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा.

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सूरत। शहर के पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन पाल में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने  रविवार 3 नवंबर को प्रवचन में  कहा कि जिंदगी में सीधे और सरल रास्ते हमें बेहोश बनाते है। कठिन रास्ते हमें सावधान, एकाग्र बनाते हैं जो कठिन रास्ते पर सावधानी से चलता है वही तो प्राप्त कर पता है रास्ता काट हैं हो या सरल हो सावधानी तो दोनों में चाहिए जो व्यक्ति सावधान और एकाग्र होकर चलता है वह अपनी मंजिल और लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जीवन में तीन बातें जरूरी है विनय, विवेक और वात्सल्य। जीवन में विनय नहीं है तो आगे नहीं बढ़ सकते। विवेक नहीं है तो व्यवहार नहीं हो सकता। वात्सल्य नहीं है तो कोई जुड़ नहीं सकता। जो पुण्यशाली होते हैं वह एक  होकर परिवार चलता है। विवेक के बिना व्यक्ति अंधा है। विवेक बिना व्यक्ति सफल नहीं हो सकता। शास्त्र हमेशा निरपक्ष होते हैं, परंपरा हमेशा बदलती रहती है। संयम ही हमें बचा सकता है। भाई दूज पर बोलते हुए आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि आज बहनों के प्रति प्रेम अभिव्यक्ति का दिन है। पवित्र यह रिश्ता धर्म और आध्यात्मिक से जोड़ता है, जो अपनापन, निर्मलता देता है।

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