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क्षमा से खुलते सुप्त चेतना के बंद कपाट :साध्वी डॉ गवेषणाश्री

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माधावरम।आत्म शुद्धि के महान पर्व क्षमायाचना का महत्व उजागर करते हुए डॉ. साध्वी श्री गवेषणाश्री जी ने कहा कि सृप्त चेतना के बंद कपाटों को खोलने के लिए क्षमा की दस्तक जरूरी है। मन की धरती पर उगी वैमनस्य की कंटीली झाड़ियों को उखाड़‌ने के लिए क्षमा की कुल्हाडी जरूरी है। सरलमना, शुद्धमना होकर इस पर्व में मन की गाँठो को सुलझाना है, मन की दूरियों को दूर करना है। दिल और दिमाग की खिड़कियों पर जमी परतों को दूर कर स्वच्छ बनना है।
 साध्वी श्री मयंकप्रभा जी ने कहा कि हमारे मस्तिष्क में क्रोध का बटन है, तो क्षमा का स्विच भी है। आज हमें क्षमा का स्वीच ऑन करना है और मन के अंधकार को दूर करना है। 5 करोड़ से क्षमा मांगे या न मांगे पर जिनके साथ हमारी अनबन है, उन 5 व्यक्तियों से क्षमा अवश्य मांगे। साध्वी श्री मेरुप्रभाजी ने सुमधुर गितिका प्रस्तुत की। साध्वी श्री दक्षप्रभा के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुईं। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट,चेन्नई के प्रबंधन्यासी  घीसुलाल जी ने सभी से खमत खामणा करते हुए स्वागत भाषण दिया। धन्यवाद ज्ञापन ट्रस्ट मंत्री पुखराज चोरडिया ने दिया।

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