सूरत। शहर के पाल में श्री कुशल कांति खरतरगच्छ जैन श्री संघ पाल स्थित श्री कुशल कांति खरतरगच्छ भवन में युग दिवाकर खरतरगच्छाधिपति आचार्य श्री जिनमणिप्रभसूरीश्वरजी म.सा. ने सोमवार 16 सितंबर को चौथा अध्ययन असंस्कृत पर प्रवचन में कहा कि जीवन की महत्ता तब पता चलती है जब जीवन छोटा हो। जो वस्तु आसानी से मिल जाती है उसका मूल्य हम नहीं समझ पाते है। मनुष्य जीवन दुर्लभ और क्षणिक होने का एहसास हमें पलों पल होना चाहिए। तभी हम जीवन का निचोट, सदउपयोग कर पाएंगे। मूल्य का बोध होने पर दृष्टी बदलती है, आचरण, व्यवहार बदलता है। संसार के क्षेत्र में पुण्य जरूरी है, अध्यात्म के क्षेत्र में पुरूषार्थ जरूरी है। हमारा मन हठाग्रह, कदाग्रह और पुर्वाग्रह मुक्त होना चाहिए। इच्छापूर्ति का आग्रह रखना सामान्य बात है। लेकिन इच्छा पूरी नहीं हो तो जीवन में किसी भी प्रकार का कोई अंतर नहीं आना चाहिए। यह भाव अपने अंतर में होना चाहिए। हठाग्रह में वस्तु का आग्रह है। कदाग्रह में विचारों का आग्रह है। हदय को हमेशा प्रसन्न रखें। वहीं प्रसन्नता आपके भविष्य का निर्माण करेंगी।