विषय-आठ कर्म और नवग्रह-एक विलक्षण विवेचन
अहमदाबाद।मुन्नतचेता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनि श्री कुलदीपकुमारजी के मंगल सानिध्य में आठ कर्म और नवग्रह - एक विलक्षण विवेचन जैन वाड़मय बोधिदा कार्यशाला श्रंखला - 6 का आयोजन तेरापंथ महिला मंडल,अहमदाबाद के तत्वावधान में तेरापंथ भवन शाहीबाग पर आयोजित किया गया।
मुनिश्री मुकुलकुमारजी ने विषय संपादित करते हुए बताया जैन आगमो में ग्रहों का समुलेख क्या है?जैन दर्शन में कर्मवाद व ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों के साथ गहरी तन्मयता, सांमजस्य व गहरा संबंध है। कर्मों के साथ कोन से ग्रह का प्रभाव पड़ता है उसकी जानकारी देते हुए कोन से ग्रह को प्रभावी बनाने के लिए,कर्म और ग्रहों की अशुभता को कैसे दूर करें ,जैन दर्शन में कौनसे मंत्रों का जप करना चाहिए, कौनसी दिशा में व विधी व मंत्र जप के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आदि बातों की जानकारी उपस्थित जनमेदनी को दी।
इसके साथ कौनसे ग्रह,कर्म हमें कैसे प्रभावित करते हैं ?ऐसे अनोखे अपूर्व और अद्भुत विषय पर पहली बार तुलनात्मक विवेचन मुनि श्री द्वारा किया गया।