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तेरापंथ महिला मंडल उधना द्वारा तेरापंथ भवन में आयोजित कार्यक्रम में प्रेरक उद्बोधन

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सूरत।जैन आचार्य अपने पास रुपया-पैसा, धन-संपत्ति, सोना-चांदी कुछ भी रखते नहीं है। उनका कोई घर नहीं होता। उनका कोई बैंक बैलेंस नहीं होता। वे अकिंचन फ़क़ीर होते हैं। फिर भी वे आठ प्रकार की संपदाओं के धारक होते हैं। उनका जीवन, उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व आठ गणि संपदाओं से सुशोभित होता है। ये आठ संपदाएं हैं : (1) आचार संपदा (2) श्रुत संपदा (3) वचन संपदा (4) मति संपदा (5) वाचना संपदा (6) शरीर संपदा (7) शील संपदा और (8) संग्रह परिज्ञा
       अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल उधना द्वारा आयोजित "महाश्रमाणोस्तु  मंगलम "कार्यक्रम के अंतर्गत तेरापंथ भवन उधना में उपस्थित विशाल श्रावक समुदाय को संबोधित करते हुए महातपस्वी युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री हिम श्री जी ने उपरोक्त शब्दों का उच्चारण किया।
         साध्वी श्री जी ने आगे कहा -जैन परंपरा में अनेक विद्वान आचार्य हुए हैं। उन्होंने जैन शासन को दीप्तिमान किया है। वर्तमान में भी अनेक विद्वान आचार्य विद्यमान हैं , उनमें आचार्य श्री महाश्रमण एक विशिष्ट प्रतिभा के धारक आचार्य हैं। उनकी आचार कुशलता, अद्भुत है। वे धर्म को जीवन में उतारने का संदेश दे रहे हैं।लेकिन उससे पूर्व उन्होंने स्वयं धर्म को जीवन में उतारा है। शुद्ध धर्म का जीवन में आचरण किया है। धर्म के सूक्ष्म  सिद्धांतों का वे अपने जीवन में आचरण करते हैं और उसके बाद दूसरों को उसका उपदेश देते हैं। इसीलिए उनका उपदेश सामने वाले श्रोता के जीवन के परिवर्तन का संदेश बन जाता है। वे बहुश्रुत आचार्य हैं उनकी वाणी श्रोता के हृदय में उतर जाती है। जैन धर्म ग्रंथ आगमों के सूत्रों का वे सुंदर विश्लेषण करते हैं। उनकी वचन संपदा, वाचना संपदा, एवं मति संपदा उनको विलक्षण आचार्य बनाती है। वे कभी पंखा या एयर कंडीशनर का उपयोग नहीं करते हैं। सतत पदयात्रा करते रहते हैं यही उनकी शरीर संपदा का प्रमाण है। उनकी स्मृति शक्ति मितभाषिता, प्रवचन शैली, संघ संचालन एवं विनम्रता उनको उच्च स्थान पर आसीन करती है। ऐसे महान आचार्य का उपलब्ध होना तेरा पंथ धर्म संघ एवं जैन शासन का सद्भाग्य है।
       साध्वी श्री अखिलयशा जी ने आचार संपदा एवं शरीर संपदा के संबंध में उपयोगी मार्गदर्शन दिया। साध्वी श्री चैतन्य यशाजी ने आचार्य श्री महाश्रमण जी की अभ्यर्थना में मधुर गीत का संगान किया। साध्वी श्री मुक्तियशाजी ने कार्यक्रम का कुशल एवं प्रभावी संचालन किया। तेरापंथ महिला मंडल उधना की अध्यक्षा श्रीमती सोनू बाफना ने स्वागत वक्तव्य में पूज्य गुरुदेव के दीक्षा कल्याणक वर्ष के उपलक्ष में अपने भावों की प्रस्तुति की। तेरापंथ सभा उधना के मंत्री श्री सुरेश चपलोत ने अपने विचार रखे। अणुव्रत विश्व भारती के गुजरात प्रभारी अर्जुन मेड़तवाल ने स्वरचित मुक्तकों द्वारा अपनी भावाभिव्यक्ति की। महिला मंडल की बहनों द्वारा महाश्रमण अष्टकम से मंगलाचरण एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी की गीतिका का  संगान किया गया। आभार ज्ञापन महिला मंडल मंत्री श्रीमती नीलम डांगी ने किया। 

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