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आध्यात्मिक वर्धमानता को प्राप्त करे–युगप्रधान आचार्य महाश्रमण

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– संघ, संघपति संविधान के नाम रहा वर्धमान महोत्सव का तृतीय दिवस रहा

– जन्मभूमि पर मुनि द्वय ने किया आराध्य की अभिवंदना

–तेमम द्वारा कन्या सुरक्षा सर्किल का हुआ अनावरण

रविवार, डोंबिवली,ठाणे।जोशी हाई स्कूल का विशाल प्रांगण आज श्रद्धालुओं से खचाखच भरा हुआ नजर आ रहा था। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सान्निध्य में मुंबई के कोने कोने से पहुंची विशाल जनमेदिनी वर्धमान महोत्सव के तृतीय दिवस की साक्षी बनने हेतु उपस्थित थी। आचार्यश्री का तीन दिवसीय प्रवास डोंबिवली वासियों के लिए उत्सव के समान रहा। सुबह से शाम तक जोशी स्कूल का परिसर श्रद्धालुओं से भरा नजर आया। प्रातः मंगल पाठ हो या आचार्य श्री का नगर भ्रमण, मुख्य प्रवचन कार्यक्रम अथवा मध्यान्ह में गुरु सेवा का समय हो। रात्रिकालीन व्याख्यान एवं चरण स्पर्श में भी श्रावक समाज की विशाल उपस्थिति से त्रिदिवसीय माहौल भक्तिमय बना रहा।

आज प्रातः आचार्यश्री ने शहर में तेरापंथ युवक परिषद डोंबिवली द्वारा संचालित आचार्य तुलसी डायग्नोस्टिक सेंटर का अवलोकन किया। तत्पश्चात तेरापंथ महिला मंडल द्वारा निर्मित कन्या सुरक्षा सर्किल का अनावरण गुरुदेव के सान्निध्य में आमदार एवं महाराष्ट्र सरकार के केबिनेट मंत्री श्री रवीन्द्र चव्हाण द्वारा किया गया। स्थानीय तेरापंथ भवन के प्रांगण में भी गुरुदेव पधारे एवं श्रावक समाज को आशीर्वचन प्रदान कर कृतार्थ किया। 

मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में आचार्य प्रवर ने प्रेरणा देते हुए कहा – वर्धमानता का जीवन में बड़ा महत्व है। गृहस्थों व साधु साध्वियों सबमें धर्म की वर्धमानता का लक्ष्य रहे। गृहस्थ भौतिक व अर्थार्जन में वर्धमान होने की इच्छा रखता है दुनिया में उसका भी महत्व हो सकता है पर भौतिक वर्धमानता के साथ धर्म व आध्यात्मिक वर्धमानता होती रहे। भौतिक व आध्यात्मिक जीवन में संतुलन रहना चाहिए। सामायिक आदि धार्मिक गतिविधियों में भी वृद्धि हो। समय की नियमितता व प्रबन्धन को भी हम सदा ध्यान में रखें यह भी वर्धमानता का सूत्र है। क्षण को जानने वाला पंडित होता है, हम समय के मूल्य को समझें व समझकर जीवन को व्यवस्थित व सुनियोजित करते रहें।

गुरुदेव ने आगे कहा कि हमारे जीवन में धैर्य का विकास हो, मानसिक व शारीरिक प्रतिकूलता के बावजूद भी जीवन में हम अधीर न बनें। प्रतिकूल परिस्थितियां भी आ जाएँ तो भी हम अधीर न बनकर धीरज रखने का प्रयास करें। विरोध, निंदा का जबाब अपने अच्छे कार्यों से दें। हम जीवन में अनासक्त व निर्लिप्त रहने का प्रयास करें। महापुरुष वही बन सकता है जो विरोध में भी शांत रहे । सबमें संघ, संघपति व संविधान के प्रति वर्धमानता का विकास होता रहे व अपेक्षानुसार सदा संघ सेवा के लिए तत्पर रहे यह काम्य है।

कार्यक्रम में साध्वी प्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने सारगर्भित उद्बोधन प्रदान किया। बाल साधुओं ने सामूहिक गीत का संगान किया। केबिनेट मंत्री रवींद्र चह्वाण, शिव सेना शहर प्रमुख श्री राजेश मोरे ने अपने विचार रखे। डोंबिवली ज्ञान मंदिर स्कूल के विद्यार्थियों ने भावभीनी वंदना गीत का संगान किया।

*जन्मभूमि पर किया मुनि द्वय ने आराध्य का अभिनंदन*
इस अवसर पर अपनी जन्मभूमि डोंबिवली में मुनि अनुशासन कुमार जी, मुनि मृदु कुमार जी ने भी वक्तव्य द्वारा अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। प्रसंग वश आचार्य श्री कहा कि - जननी, जनक और गुरु सबका योग होना विशेष बात हो सकती है। बचपन में ही अंकित और मयंक हमारे पास दीक्षित हो गए थे। दोनों का आगे खूब विकास होता रहे। जीवन में वर्धमानता होती रहे। जीवन में अच्छे कार्य के विकास का प्रयास हो। दो ही संतान थी और इनके माता-पिता ने दोनों को ही दे दिया।

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