सूरत। वेसू के रामलीला मैदान में श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के तत्वाधान में वृंदावन की श्रीहित राधावल्लभ रासलीला मंडली के रासाचार्य स्वामी त्रिलोकचंद शर्मा के सानिध्य में चल रही रामलीला के दूसरे दिन रविवार की रात रावण जन्म, राम जन्म, विश्वामित्र आगमन लीला का मंचन हुआ हुआ। लंका में रावण, कुंभकर्ण और विभीषण का जन्म हुआ और इसके बाद तीनों भाइयों ने घोर तपस्या की। इस पर प्रसन्न होकर ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने दर्शन दिए। तीनों भाइयों ने इच्छानुसार वर मांगा। इसके पूर्व प्रभु ने कुंभकर्ण की नियत को समझकर मां सरस्वती को कुंभकर्ण की मति घुमाने को कहा। इसके बाद कुंभकर्ण ने इंद्रासन की जगह निद्रासन मांग ली। इसे सुनकर रावण अत्यन्त दुखी हुआ और प्रभु से कुंभकर्ण द्वारा मांगे गए वरदानों में राहत देने का निवेदन किया।
इस पर छह महीने में एक दिन जागने का प्रभु ने वरदान देकर रावण की विनती को स्वीकार किया। दूसरी तरफ राजा मनु अपनी पत्नि सतरूपा के साथ जंगल में घोर तपस्या की। इस पर भगवान विष्णु प्रकट हुए और त्रेता युग में मनु और सतरूपा के घर जन्म लेने का वर दिया। बताया कि मेरे साथ आदि शक्ति के रूप मे माता लक्ष्मी और शेषावतार लक्ष्मण होंगे।
अयोध्या में राजा दशरथ के यहां भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघन जन्म लेते हैं। अयोध्यावासी खुशियां मनाते हैं। जैसे जैसे चारों बालक बड़े होते हैं उनकी बाल लीलाएं देखकर अयोध्या के निवासी प्रफुल्लित होते हैं। राम और लक्ष्मण के किशोर उम्र पर पहुंचने पर ऋषि विश्वामित्र राक्षसों से अपने धार्मिक अनुष्ठानों की रक्षा के लिए अयोध्या जाकर राजा दशरथ से राम और लक्ष्मण को मांगते हैं। गुरू वशिष्ठ के समझाने पर दशरथ ऋषि के साथ भेज देते हैं। ऋषि विश्वामित्र अपने साथ राम और लक्ष्मण को ले जाते है । रामलीला में प्रस्तुति देख भक्त भाव विभोर हो गए। इस अवसर पर ट्रस्ट के मंत्री अनिल अग्रवाल ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत ट्रस्ट के पदाधिकारीयो से करवाया ।
आज की लीला
16 अक्टूबर को रामलीला में ताड़का वध, सुबाहु मारीव वध, अहिल्या उद्धार, पुष्पवाटिका का मंचन होगा।