सूरत।केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से कपड़ा मशीनरी के आयात पर सीमा शुल्क लागू कर दिया
केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से कपड़ा मशीनरी के आयात पर सीमा लागू कर दिया। बाद में कुछ दिन पहले सरकार ने इसमें संशोधन कर 650 आरपीएम से अधिक वाली मशीनरी को ड्यूटी से मुक्त कर दिया है। केंद्र सरकार के नए सर्कुलर से सूरत के उद्योगपति असमंजस में हैं और उन्हें लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
सूरत के उद्योगपतियों द्वारा आयात की जाने वाली सभी रेपियर मशीनरी इस श्रेणी में नहीं आती जिसके कारण वे भ्रमित हैं। सूरत के उद्योगपतियों को तीन सौ से अधिक पत्रा रेपियर मशीनें मुंबई बंदरगाह पर डंप की गई हैं। लेकिन उद्योगपतियों को उम्मीद है कि सरकार 650 आरपीएम से कम क्षमता वाली मशीनरी को भी अनुमति देगी। लेकिन वे बंदरगाह की विलंब शुल्क लागत बढ़ा रहे हैं उद्योगपतियों का कहना है कि केंद्र सरकार ने नए सर्कुलर में
650 आरपीएम से ऊपर की मशीनों के लिए ड्यूटी में छूट दी है, लेकिन इसमें गड़बड़ी है। इस परिपत्र ने बंदरगाह पर आयातित अनुमानित 250 रेपियर मशीनरी के संचालकों
के लिए एक अजीब स्थिति पैदा कर दी है। उद्योगपति चाहते हैं कि सर्कुलर को संशोधित किया जाए, और 950 आरपीएम से नीचे की मशीनरी पर शुल्क शुल्क लगाया जाए। वर्तमान परिस्थितियों में यदि मशीनरी जारी की जानी है, तो 8.25 प्रतिशत लेख शुल्क का भुगतान करना होगा । और यदि वे परिपत्र के संशोधन की प्रतीक्षा करते हैं तो उन्हें 6-10 दिनों के लिए 100 अमरीकी डालर 11 के 15 दिन के लिए 160 अमरीकी डालर का भुगतान करना होगा उद्योगपतियों ने दो-तीन महीने पहले जब ऑर्डर बुक कराया तो मशीनरी पर कोई ड्यूटी नहीं थी सरकार द्वारा जारी सर्कुलर में एक विसंगति है कि 650 आरपीएम से ज्यादा की मशीनरी पर ड्यूटी खत्म कर दी गई है। यदि इस विसंगति को दूर कर रैपियर जैककार्ड, एयरजेट वाटर जेट पर शुल्क हटा दिया जाए ।तो उद्योगपतियों की समस्या का समाधान हो जाएगा। सचिन समेत कारोबारियों की सैकड़ों मशीनें बंदरगाह पर फंसी हुई हैं। कपड़ा उद्योगपति हसमुख राडिया ने बताया कि यदि केंद्र सरकार द्वारा सर्कुलर में संशोधन नहीं किया जाता है, तो रेपिअर मशीनरी आयातकों को भारी नुकसान होने की संभावना है। सूरत के उद्योगपतियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मशीनों में 650 आरपी को मशीनरी नगण्य है। बड़ी संख्या में मशीनरी बंदरगाह पर गिर रही है।