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लक्ष्य की ओर गतिशील रहना ही विकास : डॉ साध्वी गवेषणाश्री

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31वें विकास महोत्सव का हुआ आयोजन

चेन्नई : युवामनीषी आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी डॉ गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में तीर्थंकर समवसरण, जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में 31वें 'विकास महोत्सव' का कार्यक्रम आयोजित हुआ। 
 साध्वी श्री डॉ गवेषणाश्री जी ने कहा कि विकास उद्धर्वारोहण की प्रक्रिया है। बीज का विकास बरगद है। मंजिल का विकास उसकी नींव है। नींव कमजोर हो तो विकास का सपना व्यर्थ है। आचार्य भिक्षु ने बीज बोया, उसे पल्लवित करने में अनेक आचार्यों का योगदान रहा है। तेरापंथ धर्मसंघ ने अकल्पनीय सर्वांगीण विकास किया। उसमें आचार्य श्री तुलसी का श्रम, प्रेरणा और प्रोत्साहन आधार बना। लक्ष्य की ओर गतिशील रहना ही विकास है।
 साध्वी श्री मयंकप्रभाजी ने कहा कि जिसके पास कर्मजाशक्ति, निर्णयशक्ति, इच्छाशक्ति और पुरुषार्थशक्ति हो तो वह विकास के चरम शिखर पर पहुंच सकता है। आचार्य श्री तुलसी विकासपुरुष थे। उन्होंने तेरापंथ धर्मसंध में विकास के अनेक नये-नये द्वार उद्‌घाटित किए। 
साध्वी श्री दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गितिका की प्रस्तुत दी। जेटीएन की महिलाओं के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रेक्षा प्रशिक्षक माणकचंद रांका,उपासिका संगीता डागा, सुरेश रांका ने भी इस विषय पर अपने विचार रखें। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी श्री मेरुप्रभा जी ने किया।

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