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ई-कॉमर्स कंपनियों और बैंकों की मिलीभगत से देश के पारम्परिक खुदरा व्यापारियों को भारी नुकसान-प्रवीण खंडेलवाल

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सांसद खंडेलवाल ने ई-कॉमर्स  कंपनियों और बैंकों की अनैतिक सांठगांठ का आरोप लगाया
 
आज भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास को भेजे गए एक महत्वपूर्ण पत्र में, चांदनी चौक से भाजपा सांसद और कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री एमेरिटस प्रवीण खंडेलवाल ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैंकों की मिलीभगत पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह मिलीभगत पारंपरिक खुदरा व्यापारियों के लिए अस्वस्थ और असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रही है।

 खंडेलवाल ने आरबीआई गवर्नर को भेजे अपने पत्र में बैंकों, ई-कॉमर्स कंपनियों और ब्रांड मालिकों के बीच अनैतिक सांठगांठ का आरोप लगाया, जिससे खुदरा व्यापार बुरी तरह विकृत हो रहा है। इस मिलीभगत से देश के पारंपरिक खुदरा व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है।

 खंडेलवाल ने बताया कि एचडीएफसी, एसबीआई और अन्य बैंकिंग संस्थानों द्वारा विशेष छूट योजनाओं और बैंक कैशबैक ऑफर्स के माध्यम से आक्रामक छूट दी जा रही है, जो फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसे प्लेटफॉर्म्स पर 10% तक की छूट प्रदान कर रहे हैं, जिससे पारंपरिक व्यापारियों को और अधिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक, वन कार्ड और कोटक महिंद्रा जैसे अन्य बैंकों ने भी इसी तरह की साझेदारियाँ की हैं, जो छूट, कैशबैक और अतिरिक्त लाभ प्रदान कर रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है कि क्या ये व्यापारिक प्रथाएँ निष्पक्ष हैं। चाहे जानबूझकर या अनजाने में, ये बैंक एक कार्टेल का हिस्सा बन गए हैं जो एक अस्वस्थ और असमान बाजार बना रहा है, जो प्रतिस्पर्धा के लिए गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहा है और व्यापार के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

इस संदर्भ में खंडेलवाल ने हाल की सीसीआई रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि ये प्लेटफॉर्म स्मार्टफोन मूल उपकरण निर्माता (OEM) जैसे सैमसंग, शाओमी, रियलमी, मोटोरोला, वीवो और वनप्लस के साथ मिलकर राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं।

 खंडेलवाल ने कहा कि इन कार्यों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के "आत्मनिर्भर भारत" के विज़न के खिलाफ काम किया है। रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि ये कंपनियाँ विशेष आपूर्ति समझौतों और गहरी छूट प्रथाओं में शामिल हैं, जिससे ऑफ़लाइन खुदरा व्यापारियों, जो रोजगार सृजन, कर योगदान और उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी सेवाएँ और ऑफ़र प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, को गंभीर नुकसान पहुँच रहा है।

 खंडेलवाल ने आगे कहा कि यह चौंकाने वाला है कि लगभग 1.5 लाख मोबाइल खुदरा व्यापारी इन अनुचित प्रथाओं के कारण संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें से 50,000 से अधिक छोटे व्यापार पहले ही बंद हो चुके हैं। कई छोटे व्यापारी ग्रे मार्केट स्टॉक्स पर निर्भर हो गए हैं क्योंकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और OEM समर्थित एग्रीगेटरों के बीच की सांठगांठ से घरेलू अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, खंडेलवाल ने आरबीआई गवर्नर से तुरंत बैंकों को निर्देश देने का आग्रह किया है कि वे पारंपरिक खुदरा व्यापारियों को दी जा रही छूट और कैशबैक लाभ बंद करें। इन साझेदारियों और उनके साथ जुड़े खरीदारी के पैटर्न की जाँच शुरू करें। यह देखना महत्वपूर्ण है कि पिछले पाँच वर्षों में इतने अधिक उपभोक्ता बैंक कार्ड का उपयोग करके सैकड़ों मोबाइल फोन कैसे खरीद पाए हैं, जो अनुचित प्रथाओं की ओर इशारा कर सकता है।

 CAIT गुजरात के चेयरमैन श्री  प्रमोद भगत ने कहा कि खुदरा व्यापारियों और हमारे बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय अखंडता की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस सांठगांठ को तोड़ना हमारी अर्थव्यवस्था की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।इस संबंध में खंडेलवाल ने रिज़र्व बैंक गवर्नर के अलावा वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन तथा वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से मिलने का समय माँगा है
      

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