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प्रमाद से बचकर कुशल बने मानव : मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमण

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-आयारो आगम के माध्यम से निरंतर आचार्यश्री से दे रहे जनता को मंगल संबोध 

-साध्वीवर्याजी ने भी जनता को किया अभिप्रेरित 

 वेसु, सूरत।जन-जन का कल्याण करने वाले, सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति जैसे शुभ संकल्पों के माध्यम से जनता को सन्मार्ग दिखाने वाले, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक आचार्यश्री महाश्रमणजी भव्य चतुर्मास सूरत शहर में हो रहा है। भगवान महावीर के प्रतिनिधि का चतुर्मास भगवान महावीर युनिवर्सिटि परिसर में होना मानों सूरत शहरवासियों के लिए एक अविस्मरणीय समय बन गया है। प्रतिदिन के अलावा जिस दिन रविवार की छुट्टी होती है, उस दिन तो संयम विहार परिसर पूरी तरह जनाकीर्ण नजर आता है। श्रद्धालु अपने भौतिक कार्यों की छुट्टी का पूरा लाभ आध्यात्मिकता के रूप में लेने का प्रयास कर रहे हैं। 

रविवार को महावीर समवसरण में उपस्थित जनता को भगवान महावीर के प्रतिनिधि आचार्यश्री महाश्रमणजी ने ‘आयारो’ आगम के माध्यम से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि तीन शब्द का एक छोटा सूत्र है-प्रमाद से क्या मतलब, अर्थात् प्रमाद नहीं करना चाहिए। जो कुशल होता है, उसे प्रमाद से क्या लेना-देना होता है। इसी प्रकार जो साधु बन गया है, उसे प्रमाद से भला क्या लेना-देना हो सकता है। मैंने इस वर्ष के प्रारम्भ में मैंने चौबीसी को याद करने की बात कही थी तो लगता है कि कितनों इस पर ध्यान दिया है। यहां बताया गया है कि कुशल कौन होता है? बताया गया कि वीतराग कुशल होता है या वीतराग की साधना में लगा हुआ व्यक्ति कुशल होता है। जो कुशल होता है, उसे प्रमाद से बचने का प्रयास करना चाहिए। सामान्य आदमी को भी अपने जीवन में प्रमाद से बचने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए यह आगम पहले ही सावधान करता है कि किसी भी प्रकार के प्रमाद से बचने का प्रयास करो। 

योग, ध्यान, प्रेक्षाध्यान, तपस्या आदि के द्वारा जितना संभव हो सके, प्रमाद से बचने का प्रयास करना चाहिए। प्रयास करने से सफलता भी प्राप्त हो सकती है। कार्य को समय से करने का प्रयास करना चाहिए। प्रमाद से बचकर समय का सदुपयोग कर अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयास करना चाहिए। 

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने उपस्थित जनता को उद्बोधित किया। भगवान महावीर मेमोरियल समिति-दिल्ली के अध्यक्ष श्री के.एल. जैन ने समग्र जैन चतुर्मास सूची-2024 को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने उन्हें मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। श्री विजयकृष्ण नाहर ने अपनी लिखित दो पुस्तक ‘तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य संत भिखणजी पाली में’ तथा ‘आचार्य भिखण के मार्ग का आधारपुरुष हेमराजजी’ को आचार्यश्री के समक्ष लोकार्पित किया गया। आचार्यश्री ने इस संदर्भ में पावन आशीर्वाद प्रदान किया। श्री बाबूलाल जैन ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।   

अंत में आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के नवीन टीम का शपथ ग्रहण समारोह समायोजित हुआ। जिसमें नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री हिम्मत माण्डोत आदि पूरी टीपीएफ की नई टीम ने आचार्यश्री के समक्ष शपथ ग्रहण किया। आचार्यश्री ने नवीन टीम को मंगल आशीर्वाद प्रदान किया।  

 

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