सूरत में नगर निगम द्वारा पीपीपी आधार पर स्विमिंग पूल के विकास के खिलाफ तैराकों ने विरोध किया
सूरत।तैराकों ने स्वीमिंग पूल के निजीकरण का विरोध किया। सूरत नगर निगम विकास कार्यों में जनता की भागीदारी को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है। हालाँकि यह सार्वजनिक साझेदारी वास्तव में अपने ही लोगों को पैसा कमाने का रास्ता प्रदान करके सूरत शहर का विकास कर रही है।हजारों तैराक सूरत नगर निगम के स्विमिंग पूल विकसित करने के फैसले का विरोध कर रहे हैं।
स्विमिंग पूल जो सूरत नगर पालिका में है।उनमें से सबसे पुराने और व्यस्ततम स्विमिंग पूल में से एक अडाजन क्षेत्र में वीर सावरकुंड स्विमिंग पूल है।सूरत नगर निगम द्वारा स्वीमिंग पूल को जनभागीदारी से विकसित करने का निर्णय लिया जा रहा है।इसका तैराकों ने विरोध किया। स्विमिंग के लिए आए सभी स्विमिंग पूल के तैराकों ने सत्ता पक्ष द्वारा लिए गए निर्णय की कड़ी निंदा की और विरोध किया।
सूरत नगर निगम के तीनों पूलों में तैराकों की संख्या काफी अच्छी है।जिससे स्वीमिंग पूल से भी अच्छी आमदनी हो रही है।जनहित में लोगों के स्वास्थ्य के लिए स्वीमिंग पूल बेहद जरूरी हैं।यह सेवा एक निगम द्वारा प्रदान की जा रही है।लेकिन अब अचानक इस तारनकुंड का प्रबंधन सूरत नगर निगम की जगह निजीकरण करने की योजना बनाई जा रही है।इसको लेकर सत्ताधारियों की मानसिकता पर सवाल उठ रहे हैं।
फैसला नहीं बदला तो जन आंदोलन करेंगे
राजकुमार पटेल ने कहा,हम इस स्विमिंग पूल में कई सालों से आ रहे हैं।यहां तैराकों की भी अच्छी खासी संख्या है। हम जानते हैं तब तक इस स्विमिंग पूल के साथ-साथ शहर के अन्य पूलों का खर्च भी लोगों द्वारा दी जाने वाली फीस से ही पूरा होता है। इससे निगम को फायदा होता है। हमें लगता है कि सत्ताधारी पार्टियां अपने फायदे में होते हुए भी अपने लोगों के हित में शहर के स्वीमिंग पूलों का निजीकरण कर रही हैं। सन 2021 का फैसला अक्टूबर के महीने में होने वाला था।तब भी हमने विरोध किया था।अभी शिकायत की दिशा में निर्णय लिया जा रहा है।फिर हमने विरोध दर्ज कराया है। अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो हम शहर भर में जन आंदोलन करेंगे और उग्र विरोध दर्ज कराएंगे।