चेन्नई। मद्रास विश्वविद्यालय के जैन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. प्रियदर्शना जैन ने वेटिकन, इटली में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय महिला अधिवेशन में भाग लिया। इस अधिवेशन में 12 मजहब/धर्म के 15 से अधिक देशों से 30 महिलाओं ने प्रतिनिधित्व किया। पूरे भारतवर्ष से जैन धर्म का प्रतिनिधित्व डॉ. प्रियदर्शना जैन ने किया।
अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, लेबनॉन, अर्जेन्टीना, केन्या, श्रीलंका, हांगकांग, ताइवान, मलावी आदि कई देशों से अनेक प्रभावशाली महिलाओं ने विश्व शांति और सौहार्द के अपने- अपने अनुभवों की प्रस्तुति की, जिसका वेटिकन के चैनल से 25 से 27 जनवरी तक विश्व भर में सीधा प्रसारण किया गया और सराहा गया।
आज मजहब के नाम पर जो नरसंहार हो रहा है, उससे निपटने के लिए महिला सशक्तिकरण के माध्यम से मानवीय मूल्यों का संवर्धन अत्यंत आवश्यक है।
डॉ जैन ने अपने वक्तव्य में तीर्थंकरों के द्वारा स्थापित चतुर्विध संघ में जो नारी को गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त है, पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कृति की संवाहक जैन सन्नारी, महासती के रूप में, श्राविका के रूप में, कैसे अहिंसा, संयम और तप की अक्षुण्ण धारा को अपने जीवन में संजोकर औरों को भी प्रभावित करके, समाज में शांति और सौहार्द फैलाती है, इन सबकी चर्चा करके सभा को जैन धर्म के सिद्धांतों से अवगत कराया। एक आदर्श जैन नारी कैसे अपने परिवार, समाज, देश और पर्यावरण की संरक्षण करती हैं, इसका सुंदर शब्द चित्रण डॉ जैन ने अपने 12 मिनट के वक्तव्य में अत्यंत प्रभावकारी रूप में किया। समस्त महिलाओं ने पोप फ्रांसिस और वेटिकन के अन्य गणमान्य जनों से भी संवेदनशील विषयों पर चर्चा की और मानवता के खातिर काम करने का संकल्प भी लिया। वाट्सप के माध्यम से यह ग्रुप सक्रिय हैं और देश विदेश में मानवीय मूल्यों के संवर्धन हेतु कार्यरत हैं। यह जानकारी मद्रास विश्वविद्यालय, जैन विभाग की विज्ञप्ति से प्राप्त हुई है।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती