बस में अहमदाबाद यात्रा दौरान सेवा रिटायर प्रोफेसर ने आश्रय देकर की थी मदद,गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने की रिंकू के परिवार से मुलाकात
जीवन में कई बार ऐसा होता है जब हम किसी ज़रूरतमंद को दी जाने वाली छोटी से छोटी मदद भी बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं।आज के आधुनिक युग मे घर के लोग भी पराए लगते है ऐसे में एक प्रोफेसर ने मुसीबत के समय एक अनजान पिता और दिव्यांग बेटी को आश्रय देकर सच्ची मानवता की खुशबू बिखेर दी।अजनबियों को आश्रय देकर मुसीबत में मददगार बने सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने अपने घर में शरण दी।रिटायर प्रोफेसर के साथ यात्रा के दौरान हुई भेंट हुई थी।प्रोफेसर ने रात को आश्रय देकर सुबह दिव्यांग बेटी को दौड़ प्रतियोगिता मैदान पर पहुचाने में मदद की। ये ही दिव्यांग बेटी रिंकू देवासी ने राज्य स्तर पर 200 मीटर दौड़ में प्रथम आई तो उसे संवेदनशील मामले की जानकारी होने पर खेल मंत्री हर्ष संघवी ने प्रोत्साहन राशि प्रदान की। राजस्थान के मूल निवासी और सूरत शहर के वराछा क्षेत्र के रहने वाले जोराराम देवासी को राज्य सरकार की विशेष खेल महाकुंभ 200 मीटर दौड़ की फाइनल प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपनी 15 वर्षीय बेटी रिंकू को लेकर जाना पड़ा।दिनांक 14 मई 2022 को एक एसटी बस में सूरत से अहमदाबाद जाने के लिए एसटी बस में सफर कर रहे थे।बस में रिंकू को उल्टी आने पर बगल की सीट पर बैठे नवीनभाई पटेल से खिड़की के पास बैठने का विन्रमता से अनुरोध किया था।
बस में बातो बातो में जोराराम ने नवींनभाई से बस कितने बजे अहमदाबाद पहुँचने व रिक्शा भाड़े के बारे में पूछताछ की।नवीन भाई ने जोराराम को बताया कि बस रात को 1.30बजे अहमदाबाद पहुचेंगी।रात का समय व दिव्यांग बेटी साथ होने से जोराराम चिंता में पड़ गए।उन्होंने नवीन भाई से पूछा कि बस स्टेशन पर सो सकते है अथवा रात को ही यूनिवर्सिटी जाए तो ऑटो रिक्शा वाले बराबर पहुँचा देंगे।रात को रिक्शा मिल जाएगा आदि प्रश्न करने लगे।फाइनल स्पर्धा के एक दिन पहले तबियत बिगड़ने से जोराराम की चिंता बढ़ गई थी।जोराराम के सवाल सुनकर नवीन भाई ने अपने घर पत्नी को फोन कर कार लेकर स्टेशन आने का कहा।दोनों बाप-बेटी से आग्रह कर आधी रात को अपने घर ले आये।रात्रि विश्राम के लिए कमरा दिया व चाय नाश्ता भोजन आदि करवाया।बेटी स्वस्थ होने पर सुबह बाप-बेटी को खेल महाकुम्भ स्पर्धा के लिए गुजरात यूनिवर्सिटी छोड़ने भी गए।
अगले दिन, उन्हें पता चला कि मैं जिस लड़की को रात को घर ले गए थे व छोड़ने गए थे , वह 70 प्रतिशत मानसिक रूप से विक्षिप्त थी, और राज्य स्तर की 200 मीटर दौड़ प्रतिस्पर्धा में पहला स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक जीता था। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। पटेल ने इस बात की जानकारी खेल और गृह राज्य मंत्री, श्री हर्ष संघवी को एक लेख के माध्यम से दी गई थी।
रिंकू देवासी के पिता जोराराम वराछा क्षेत्र में कमलपार्क सोसायटी के एक अपार्टमेंट में दो कमरों के फ्लैट में किराए पर रहते है। उन्होंने कहा, 'मेरी दो बेटियां और एक बेटा है। मैं अपनी बेटियों को शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत करता हूं। रिंकू मेरी सबसे बड़ी बेटी है। हमारे समाज में बाल विवाह की प्रथा प्रचलन होने पर छोटी लड़की की शादी के लिए मामा के दबाव के कारण उनके साथ सभी संबंधों को समाप्त कर दिया है। मैंने शुरू से ही अपनी बेटियों को शिक्षित करने का फैसला किया है। मैं उनके उज्जवल भविष्य के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा।
स्कूल की छात्रा है रिंकू सुमन
मनो दिव्यांग इस बेटी ने वराछा के शासकीय सुमन हाई स्कूल में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई की है। वर्तमान में वह सुमन-2 स्कूल में कक्षा 10 में पढ़ रही है। विद्यालय के खेल शिक्षक श्री भावेशभाई बोरिचा ने कहा कि रिंकू प्रतिवर्ष विशेष महाकुंभ में भाग लेते आ रही हैं। जिग्नेशभाई ठक्कर, विमलभाई देसाई को खेलों में पूरा सहयोग मिला है। सुमन शाला की प्रीति बहन ने बताया कि "हमारे सरकारी स्कूल में करीब 400 छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें से सात लकवाग्रस्त हैं, लेकिन हम लकवाग्रस्त बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधियां भी कर रहे हैं।"
रिंकू को आश्रय देने वाले प्रो.नवीनभाई पटेल सेवाभावी
इस अवसर पर खेल मंत्री हर्ष संघवी ने कहा कि प्रो. नवीनभाई पटेल, एक सामाजिक कार्यकर्ता, सेवक व कई धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल हैं। जीएलएस कॉलेज, अहमदाबाद से मनोविज्ञान के प्रोफेसर के रूप में सेवानिवृत्त, नवीनभाई ने कई लोगों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार कर रहें है। 6 गरीब व जरूरतमंद बेटे-बेटियों को अपने खर्चे से शिक्षा दी गई है। दूसरों ने अक्सर वित्तीय मदद प्रदान की है। उन्होंने एक छात्र को डॉक्टर बनाने का संकल्प भी लिया था। था। वे अपनी आय का अधिकांश हिस्सा शिक्षा पर खर्च कर रहे हैं। रिंकू और जोराराम की मदद से इंसानियत की खुशबू फैली है, बल्कि उन्होंने मजबूत दिमाग वाले पिता को बधाई दी है.