देश को बांटने वाली भाषा पर हो नियंत्रण
माधावरम्, चेन्नई ।आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि श्री सुधाकरजी ने श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माथावरम् ट्रस्ट, चेन्नई द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि *संप्रदायवाद, प्रांतवाद, जातिवाद देश की अखंडता और एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।* लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए, लोकतंत्र जिनके हाथों में है, उनके विचार व्यापक, संतुलित और विराट होने चाहिए। *स्वयं पर नियंत्रण रखने वालों को ही सत्ता का अधिकार होना चाहिए, वरना सत्ता का दुरुपयोग होता है।*
मुनि श्री ने आगे कहा *संवैधानिक पदों* पर बैठे हुए व्यक्तियों के लिए भाषा का नियंत्रण अनिवार्य होना चाहिए। *संकुचित और असंतुलित विचार समाज में, देश में असुरक्षा और तनाव पैदा करता है।* भारतीय संस्कृति में वसुधैव कुटुम्बकम की भावना रही हैं। भारतीय संस्कृति का विचार अनेकता में भी एकता, भेद में भी अभेद का रहा है। हमें सब के अस्तित्व का सम्मान करना चाहिए। नम्रता का व्यवहार होना चाहिए। किसी भी कारण से सामाजिक समरसता एवं सरसरा को ठेस पहुंचे, ऐसी भाषा और व्यवहार का प्रयोग नहीं करना चाहिए। *देश में सत्यम-शिवम-सुंदरम की भावना सृदृढ़ बने,* इसके लिए विशेष प्रयास करना चाहिए।
मुनि श्री ने आगे कहा अपने स्वार्थ एवं व्यक्तिवाद के लिए राजनेताओं को देश में प्रांतवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता का जहर नहीं घोलना चाहिए। भारत एक है, एक रहेगा, इसी पर बल देना चाहिए। *धर्म का राजनीति पर अनुशासन होना चाहिए, पर राजनीति के लिए धर्म का उपयोग नहीं होना चाहिए।* हमें अहिंसा, सह्अस्तित्व और समानता के सिद्धांत को स्वीकार कर अखंड भारत के संकल्पों को सबल बनाना चाहिए तथा देश को बांटने वाली शक्तियों पर कड़ा प्रहार कर, उससे देश को बचाना चाहिए।