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चेन्नई -आध्यात्मिक अनुष्ठान सिद्धि की दिशाओं का करता उद्घाटन : मुनि सुधाकर

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रिपोर्ट-स्वरूप डांगी
नमोत्थुणं जप अनुष्ठान में सहभागी बने जैन और जैनेतर
1500 से अधिक साधकों ने किया अनुष्ठान

माधावरम्, चेन्नई मंत्र जहां साधक के जीवन में आध्यात्मिकता का विकास करता है, वही आधि-व्याधि-उपाधि से निजात दिलाता है। शारीरिक, मानसिक कष्टों को भी काटता है। पारिवारिक, सामाजिक माहौल में भी सौहार्द, सामंजस्य, मैत्री, प्रेम के प्रवाह को प्रवाहित करने में सहायक बनता हैं, बढ़ाता है। उपरोक्त विचार मुनि श्री सुधाकरजी ने तेरापंथ युवक परिषद्, चेन्नई एंव श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट की आयोजना में आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल माधावरम्, चेन्नई में आयोजित *नमोत्थुणं अनुष्ठान* में विशाल जनमेदिनी को संबोधित करते हुए कहे।

   भगवता का होता अवतरण

जप अनुष्ठान साधना में सलग्न साधक परिवार को प्रेरणा प्रदान करते हुए मुनि श्री सुधाकर ने कहा कि हर व्यक्ति चाहता है, हर साधक का लक्ष्य होता हैं, भगवता को प्राप्त करना और उसकी सिढ़ी होती है - आध्यात्मिक साधना। साधना के अनेक रूपों में एक मंत्र अनुष्ठान भी है। नमोत्थुणं स्त्रोत एक विशिष्ट साधना का प्रयोग हैं। शाश्वत मंत्र है। इसकी साधना श्रद्धा, आस्था और भक्ति भाव से की जाती है, तो *भक्तों में भगवता का अवतरण हो जाता है, सिद्धत्व को प्राप्त कर सकते हैं।*
 
  मुनि श्री ने विशेष रूप से कहा कि जप अनुष्ठान में श्रद्धा भाव से इसमें तल्लीन हो जाना चाहिए। कहा भी जाता है कि *विधिपूर्वक किया गया जप अनुष्ठान व्यक्ति की भीतरी ऊर्जा को संवर्धित करता है।* बीज मंत्रों का जप व्यक्ति को शक्तिशाली तो बनाता ही है, साथ ही साथ आनेवाली अनेक प्रकार की बाधाओं से बचा लेता है।

   *मंत्र जाप से होती प्रसुप्त शक्तियाँ जाग्रत*

  लगभग 1500 से अधिक जप अनुष्ठान साधकों को मुनि श्री ने कहा कि मंत्र जाप के प्रति घनीभूत श्रद्धा के साथ निरन्तरता व नियमितता जप साधना को प्राणवान बना देती है। मंत्र जाप के द्वारा व्यक्ति अपनी प्रसुप्त शक्तियों को जाग्रत करता है। नियमित किया जाने वाला जप अनुष्ठान सिद्धि की दिशाओं का उद्घाटन करता है। मंत्र जप की ध्वनि तरंगें इतनी प्रभावशाली होती है कि वे पूरे वातावरण को तरंगित कर देती है। वह भूमि भी पवित्र बन जाती है, जहां साधक पवित्रता के साथ जप करता है।
  मुनि नरेशकुमारजी ने भगवान महावीर की स्तवना में स्तुति की। 
 आज के इस विशेष अनुष्ठान में जैनों के साथ जैनेतर बंधुओं ने भी अनुष्ठान में सहभागिता दर्ज करवाई।* माधावरम् ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी घीसूलालजी बोहरा ने मंत्र अनुष्ठान साधना के विशेष आयोजन के लिए मुनि प्रवर को कृतज्ञता और श्रावक समाज की विशेष उत्साह के साथ उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया। स्कूल के चेयरमैन प्यारेलालजी पितलिया, साहूकारपेट ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी विमल चिप्पड़जी, महासभा से ज्ञानचन्दजी आंचलिया ने अपने विचार व्यक्त किये। अनुष्ठान के प्रायोजक श्री रमेशचन्दजी कमलादेवी जितेन्द्रजी खुशबू ह्रीदान ध्यान आंचलिया - पादुकलां तिण्डीवनम्, चेन्नई परिवार का तेयुप एवं ट्रस्ट बोर्ड की ओर से अभिनन्दन किया गया। तपस्वियों ने तप के प्रत्याख्यान किये। अनुष्ठान की संयोजना में तेयुप और ट्रस्ट बोर्ड की टीम के साथ सभी संघीय संस्थाओं का  विशेष श्रम रहा। स्वागत स्वर तेयुप चेन्नई के अध्यक्ष विकासजी कोठारी ने दिया। कार्यक्रम का कुशल संचालन अनुष्ठान संयोजक अरुण बिराणी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन अरिहंत सेठिया एवं सुरेश तातेड़ ने दिया। लगभग 2.30 घण्टा चले इस विशेष जप अनुष्ठान में चेन्नई के साथ बंगलौर, सेलम, विल्लुपुरम, आरकोणम, तिण्डीवनम्, तिरूकलीकुड्रम, कांचीपुरम, सिरकाली, गुडियात्तम, वानियमबाड़ी, कुम्भकोणम, सुंगवारछत्रम इत्यादि अनेकों क्षेत्रों के लोगों ने सहभागिता निभा, अनुष्ठान किया।

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