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सूरत का श्रावक समाज बड़ा विनीत, समर्पित व कार्यकुशल है-मुनि उदितकुमार

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2024 में पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का चातुर्मास सूरत की धरा पर हो इस हेतु सूरत का श्रावक समाज जागरूकता पूर्वक प्रयासरत है- मुनि श्री उदित कुमार 

(गणपत भंसाली)
सूरत।युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री उदित कुमार जी व उनके सह वृति सन्त मुनि श्री अनंत कुमार, मुनि श्री रम्य कुमार व मुनि श्री ज्योतिर्मय  ठाणा-4 इन दिनों वर्ष 2022 के चातुर्मास निमित सूरत महानगर में पधारे हुए हैं, मुनि वृन्द राजस्थान से विहार कर अहमदाबाद, बड़ौदा, भरूच, अंकलेश्वर होते हुए  कामरेज, चलथाण पर्वत पटिया, उधना, लिम्बायत, पांडेसरा, अडाजण, अलथाण, सांई आशीष सोसायटी आदि उपनगरों का स्पर्श करते हुए विभिन्न विस्तारों में धर्म-अध्यात्म का नवनीत बांट रहे है। उल्लेखनीय है कि मुनि वृन्द का वर्ष 2022 का चातुर्मास सिटीलाइट स्थित तेरापंथ भवन में होना निश्चित हुआ है। गौरतलब है कि उदित मुनि दो दशक पूर्व मंत्री मुनि श्री सुमेरमल जी 'लाडनू' के सिंघाड़े में सहवृति संत के रूप में सम्मिलित थे व सूरत तथा उधना दोनों विस्तारों में मंत्री मुनि श्री के चातुर्मास एतिहासिकता के साथ सम्पन्न हुए थे व वे चातुर्मास भी प्रेक्षा प्रणेता आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के सूरत की धरा पर 2003 के वर्ष में सम्पन्न हुए चातुर्मास की पृष्ठभूमि में योगभूत बने थे। ज्ञात रहे कि मंत्री मुनि श्री सुमेर मल जी 'लाडनू' का कुछ वर्षों पूर्व स्वर्गवास हो गया था। उसके पश्चात परम् श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमण जी ने महती कृपा कर मुनि श्री उदित कुमार जी को अग्रगण्य का दायित्व सौंपा था।  मुनि श्री उदित कुमार जी राजस्थान व गुजरात के विभिन्न शहरों-कस्बो का स्पर्श करते हुए गत 4 जून को सूरत की सीमा में प्रवेश किया था व मुनिवृन्द का सारोली स्थित मांगीलाल जी झाबक परिवार के प्रतिष्ठान पर स्वागत समारोह आयोजित हुआ था। मुनि श्री का सूरत चातुर्मास कई बिंदुओं से महत्वपूर्ण साबित होना है, कारण शांतिदूत युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का वर्ष 2023 के अप्रेल माह में अक्षय तृतीया के विशाल आयोजन के निमित सूरत महानगर में पदार्पण हो रहा है, वेसु वी.आई.पी रोड़ स्थित भगवान महावीर यूनिवर्सिटी प्रांगण में 22 अप्रेल से 2 मई की अवधि में आयोजित अक्षय तृतीया के पावन प्रसंग पर परम् श्रद्धेय आचार्य श्री महाश्रमण जी की धवल सेना का पड़ाव रहेगा, हालांकि  पूज्य गुरुदेव का काफिला कामरेज में 20 को प्रवेश कर देगा व 7 मई तक सिटीलाइट तेरापंथ भवन, उधना तेरापंथ भवन, चलथान व पलसाना विस्तार में पड़ाव रहेगा। ये उल्लेखनीय है कि सूरत के तेरापंथ समाज के अनुयायी पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी के वर्ष 2024 में सूरत की पावन धरा पर चातुर्मास का स्वप्न सँजोये हुए हैं। इस दृष्टि से मुनि श्री उदित कुमार जी के सूरत चातुर्मास से यहां के श्रावक समाज को बड़ी उम्मीदें व आश लगी हुई है व यह चातुर्मास आचार्य श्री महाश्रमण जी के संभवित चातुर्मास की रूपरेखा में निमित बन पाएगा।  इन सभी बिंदुओं को समाहित करते हुए तेरापंथ सभा सूरत के पूर्व उपाध्यक्ष व  पत्रकार तथा लेखक गणपत भंसाली ने गत दिनों मुनि श्री उदित कुमार जी का विस्तार पूर्वक साक्षात कार लिया। प्रस्तुत है मुनि श्री उदित कुमार जी के उद्गार

प्रश्न :  दो दशक पश्चात आपका सूरत महानगर में पदार्पण हो रहा है, इन दो दशकों में आप क्या बदलाव महसूस कर रहे हैं?

उतर :- सूरत के संदर्भ में मेरा यह कहना है कि दो दशक पूर्व हमारे धर्म संघ के जैन परम्परा के महान संत श्रद्धेय मंत्री मुनि श्री सुमेरमल जी स्वामी लाडनू सूरत की धरा पर पधारे थे  उस समय सूरत की भौगोलिक और  विकास की स्थिति और आज की स्थिति में काफी बड़ा अंतर नजर आ रहा है। सबसे पहली बात इस महानगर का विस्तार बहुत बड़े पैमाने पर हुआ है।  दूसरी बात सड़को का पूरा जाल बिछ गया है। साफ सफाई की दृष्टि से मुझे बेहतर नजर आ रहा है।  जिस किसी मार्ग से हम गुजरते है तो वहां ब्रिज ही ब्रिज,फ्लाई ऑवर ही फ्लाई ओवर नजर आ रहे हैं, इसे सिटी ऑफ फ्लाई ऑवर भी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति की बात नही हैं। हर  दृष्टि से लगता है यहां विकास हुआ हैं। तेरापंथ धर्म संघ की दृष्टि से देखें तो जब दो दशक  पूर्व हम यहां आए थे, जहां तक मेरी स्मृति है तो यहां पर तेरापंथ धर्म संघ के अनुयायियों की संख्या 2 हजार परिवारों के आसपास थी, अब जहां तक मुझे ज्ञात हुआ हैं कि 6 हजार से भी ऊपर परिवार इस शहर में निवास कर रहे हैं। और कई कई विस्तार तो ऐसे विकसित हुए है कि उस समय तो उनका कोई वजूद भी नही था, जैसे वेसु, अलथाण व सिटीलाइट, ये तमाम एरिया बाद में विकसित हुए हैं, और वहां पर  आज बहुत बड़ी संख्या में हमारा श्रावक समाज  निवास करता हैं।मैं मानता हूं कि तेरापंथ धर्म संघ के  समाज का अनुयायी श्रावक है उनमें भी आर्थिक दृष्टि से, व्यवहारिक दृष्टि से  आध्यात्मिक दृष्टि से विकास हुआ है और ये विकास की सम्भावनायें हमेशा बनी रहती हैं।

प्रश्न: दो दशक पूर्व आप मंत्री मुनि श्री के सिंघाड़े में पधारे थे अब अग्रगण्य की भूमिका में तो इस बदलाव में कैसा महसूस कर रहे हैं आप ?

उतर :-वो ही फर्क पड़ता है, जैसा कि एक परिवार में पिता पुत्र साथ मे रहते है और पिता का छाया उठ जाता हैं तो पुत्र को सारा उत्तरदायित्व निभाना पड़ता है।  वही क्रम इसी रूप में हैं । उस समय मे मंत्री मुनि श्री के सान्निध्य में रह कर कार्यों को अंजाम देते थे, अब वो दायित्व हमें निभाना है। मंत्री मुनि की सोच, उनकी कल्पना, उनकी कार्यशैली बड़ी बेजोड़ रही है। और में मानता हूं कि जब में पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी की अनुज्ञा से उनके पास दीक्षित हुआ, जब में उनके पास आया थ तब एक अबोध बालक की तरह था, जो भी मुझे कुछ प्राप्त हुआ  वो सब मंत्री मुनि की ही देन हैं,उन्हीं की कृपा है उन्हीं का आशीर्वाद है उसी को आगे बांटने का प्रयास कर रहा हूँ और जब में मुनि श्री के साथ आया था तो एक निश्चन्तता का क्रम था, जिम्मेदारी मुनि श्री की थी  और हमें जैसा निर्देश होता था  तो वैसा काम करते थे  चूंकि अब मुनि श्री के सान्निध्य से वंचित है  और एक अग्रगण्य के रूप में सूरत में मेरा आगमन हुआ है , मेरे लिए प्रसन्नता की बात दो रूप में यह हैं कि एक तो श्रद्धेय मंत्री मुनि का आशीर्वाद मेरे साथ ही दूसरा  में सूरत की स्थितियों से वाकिफ भी हूं तो मुझे यहां काम करने में सुविधा होगी। वैसे हमारा श्रावक समाज बड़ा ही विनीत, बड़ा समर्पित बड़ा कार्यकुशल है अतः कार्य करने में कोई कठिनाई नही होगी।

प्रश्न:  वर्ष 2023 में आचार्य श्री महाश्रमण जी सूरत पधार रहे हैं तो क्या व कैसी तैयारी रहेगी ?

उतर :-पूज्य आचार्य प्रवर का सूरत महानगर मे पदार्पण हो रहा है, जब कोई विशेष अवसर आता है तो श्रावक समाज के समक्ष कुछ कर गुजरने की स्थिति रहती है, और कुछ कर गुजरने हेतु कार्यकर्ताओं की एक सशक्त टीम की आवश्यकता रहती है और टीम जब तैयार होती है जब उनके सामने कोई काम हो।मेरा मानना है कि कार्यकर्ता शक्ति को मजबूत बनाया जाए, सशक्त बनाया जाए, प्रशिक्षक बनाया जाए, कार्य कुशल बनाया जाए व आयोजनों का स्वरूप कुछ ऐसा हो कि अन्य क्षेत्रों के लिए कुछ आदर्श बनें, हमारा लक्ष्य यह रहे कि आचार्य श्री का चातुर्मास कैसे प्राप्त हो, विशेष कर सन 2024 का चातुर्मास सूरत को कैसे हासिल हो, मुझे भी इस दृष्टि से प्रयास करना है, श्रावक समाज को भी इस दृष्टि से जागरूक रहना है।

प्रश्न : वर्तमान के दौर में युवाओं की धर्म-अध्यात्म के प्रति लगाव कम होता प्रतीत हो रहा है इसके पीछे क्या वजह है ?

उतर-जहां तक युवाओं में धर्म-अध्यात्म के प्रति लगाव व समर्पण का प्रश्न है तो सूरत के संदर्भ में देखता हूँ तो मुझे लगता है कि सूरत के युवाओं में धर्म की चेतना अच्छी जागृत है। युवाओं को धर्म-अध्यात्म से जोड़ने हेतु उनसे आत्मीयता बनाई जाए, उनको कनेक्ट किया जाए, कनेक्ट करने के तरीके हर दौर में बदलते रहते हैं, आज से 50 वर्ष पूर्व कनेक्ट करने के  तरीके अलग थे, उनको कनेक्ट करने हेतु उनकी जीवन शैली को बदलना पड़ेगा, उनके भीतर क्या भाव चल रहे हैं?, वे क्या सोच रहे हैं? उस सोच को पकड़ना पड़ेगा, और उन्हें उस सोच के अनुरूप ढालना होगा। उनको परोसने के तरीके बदलना पड़ेंगे, सिद्धांत वही है प्रक्रिया वही है, युवा कमजोर नही है कनेक्ट है।मैं मानता हूं तौर-तरीके बदलने से युवा और भी कनेक्ट होगा।

प्रश्न : वर्तमान की युवा पीढ़ी की साहित्य के प्रति रुचि घट गई है व हिंदी में पठन घटा है तो इस सन्दर्भ में आपका चिंतन क्या है ?

उतर :-हमारे धर्म संघ के साहित्य प्रकाशन का दायित्व जैन विश्व भारती सम्भाल रही है। तेरापंथ धर्म संघ का हिंदी में प्रचुर मात्रा में साहित्य उपलब्ध है व व अंग्रेजी भाषा मे भी 40-50 पुस्तकें अनुवादित हुई है व अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हो रहा हैं। तेरापंथ धर्म संघ का साहित्य काफी विपुल मात्रा प्रकाशित होता रहता व समृद्ध साहित्य है । जैन विश्व भारती की सम्बोधि वेवसाईट पर भी साहित्य की जानकारी उपलब्ध है। तेरापंथ का साहित्य जन-जन तक पहुंचे यह प्रयास करना है।

प्रश्न : युवाओं को कोई संदेश..
उतर :-युवा अपने जीवन मे सकारात्मकता के भाव पैदा करें, अपने मनमस्तिष्क में समाई नेगेटिविटी दूर करें व संस्कारो तथा संस्कृति को पनपाये व विकारों का निर्मूलन करें।

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