श्रद्धा के साथ निष्क्रमण कर करें आत्म कल्याण : साध्वी लावण्यश्रीजी
तिरूकल्लीकुण्ड्रम (पक्षी तीर्थ)। तेरापंथ धर्मसंघ के अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी की विदुषी सूशिष्या साध्वी श्री लावण्यश्री के सान्निध्य में सिवाना निवासी,बंगलुरू प्रवासी दीक्षार्थी मुमुक्षु बहन राहत ललवानी का मंगल अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया।
साध्वी लावण्यश्रीजी ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया कि आचारांग सूत्र में बताया गया है कि "जाए सध्दाए णिखंतो,तमेव अनुपालिया" जिस श्रध्दा से निष्क्रमण करो, उस श्रद्धा से पालन करना। गुरु इंगित की आराधना कर अपना आत्म कल्याण करना, जीवन को उन्नत बनाना।
मुमुक्षु राहत ललवाणी ने अपने विचारों में गुरुदेव के प्रति असीम कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि साध्वी लावण्यश्रीजी ठाणा 3 की विशेष प्रेरणा से मैं संयम पथ पर अग्रसर हो रही हूँ।
साध्वी सिद्धांतश्रीजी व साध्वी दर्शितप्रभाजी एवं स्थानीय महिला मंडल ने गीतिका द्वारा अपने भावों की प्रस्तुति दी व साधना पथ पर अग्रसर होने की मंगल शुभकामनाएं की।
निवर्तमान अध्यक्ष बाबूलाल खाटेड ने अभिनंदन व स्वागत किया। तपोनिष्ट श्रावक चंपालाल दूगड़ ने मुमुक्षु बहन के प्रति मंगलभावना व्यक्त की।
बेंगलुरु ज्ञानशाला के संचालक हेमंतजी छाजेड़ ने अपने भावों के द्वारा बताया कि हमारी ज्ञानशाला की यह 20वीं ज्ञानार्थी है जो संयम पंथ की ओर अग्रसर हो रही है। कांचीपुरम ज्ञानशाला संचालिका रेखा खाटेड ने अपने विचार व्यक्त किए। महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती लताबाई बरलोटा व मंत्री सरिताबाई बरोला व सभी वरिष्ठ श्राविकाओं ने मुमुक्षु बहन का अभिनंदन किया। कोषाध्यक्ष गौतम बोहरा ने व्यवस्था बनाने में सहयोग किया।सभा मंत्री प्रशांत दूगड़ ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती