- चूरू जिले से बीकानेर जिले में शांतिदूत का मंगल प्रवेश
- आचार्यवर ने ने दी राग-द्वेष मुक्त रहने की प्रेरणा
*20.05.2022, शुक्रवार, गारबदेसर, बीकानेर (राजस्थान)*
नेपाल, भूटान सहित भारत के 23 राज्यों की पदयात्रा कर मानवता के उत्थान का महनीय कार्य करने वाले अहिंसा यात्रा प्रणेता पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी का आज चूरू जिले से बीकानेर जिले में मंगल प्रवेश हुआ। कई वर्षों पश्चात आचार्यवर के इस क्षेत्र की ओर पदार्पण से क्षेत्रवासियों में विशेष हर्ष छाया हुआ है। आज प्रातः आचार्यप्रवर ने अड़सीसर से मंगल विहार किया। एक ओर चिलचिलाती धूप वहीं तेजी से चलती गर्म हवाओं के मध्य में समत्व भाव से ज्योतिचरण आचार्य श्री महाश्रमण जन उद्धार के लिए सतत गतिमान थे। रेतीले धोरों के मध्य शांतिदूत का काफिला श्वेत हंसों के समूह की प्रतीति करवा रहा था। लगभग 12 किलोमीटर विहार कर गुरूदेव गारबदेसर स्थित ____ में प्रवास हेतु पधारे। कल आचार्यश्री का दो दिवसीय प्रवास हेतु कालू में पदार्पण होगा।
मंगल प्रवचन आचार्यश्री ने कहा हमारे जीवन में अनेक प्रकार की परिस्थितियां आती रहती है। कई परिस्थितियों के कारण व्यक्ति दुखी भी बन जाता है। लेकिन जिसका मन अपने स्वयं के वश में रहता है उसके दुख भी नष्ट हो जाते हैं। जब तक भीतर में राग-द्वेष के भाव है तब तक आत्मिक सुख भी दूर रहते है। जहां राग-द्वेष नहीं वहां शांति है। अपने आप में रहना, समता में रहना सुखी रहना है। व्यक्ति अपनी आत्मा में रहने का प्रयास करें।
एक दृष्टांत के माध्यम से समझाते हुए आचार्यश्री ने आगे कहा कि साधुओं के तो दर्शन होना ही बहुत बड़ा पुण्य है। संत तो चलते फिरते तीर्थ होते हैं। यह भारत का भाग्य है कि यहां पर इतने संत इस धरा पर हुए है। आम जनता में भी संतों के प्रति एक सम्मान, श्रद्धा का भाव है। जो कंचन कामिनी का त्यागी होते हैं वह सच्चे संत होता है। संत दर्शन और संतों का सानिध्य पाना बहुत दुर्लभ कहा गया है। हमें ना तो नोट चाहिए, ना ही वोट चाहिए और ना ही प्लॉट चाहिए क्योंकि हमारी कोई संपत्ति आश्रम आदि भी नहीं होती। हमें तो बस आपके जीवन की खोट चाहिए। व्यक्ति अपने जीवन की बुरी आदतों को छोड़ने का प्रयास करें। जितना संभव हो जीवन में धर्म के उपदेश को जीवन में उतारने का प्रयास करे तो यह जीवन सफल बन सकता है।
तत्पश्चात आचार्यश्री की प्रेरणा से ग्रामवासियों ने सदभावना, नैतिकता एवं नशामुक्ति के संकल्पों को स्वीकार किया। इस अवसर पर पृथ्वीसिंह चौहान एवं चन्दनमल शर्मा ने अपने गाँव में आचार्यश्री के स्वागत में अभिव्यक्ति दी।