IMG-LOGO
Share:

शारीरिक, मानसिक स्वास्थ के लिए जरूरी है - कायोत्सर्ग : मुनि सुधाकर

IMG

माधावरम मे आयोजित धर्मसभा में प्रवचन

  श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ माधावरम् ट्रस्ट, चेन्नई के तत्वावधान में आवस्स्यं सुत्र पर आधारित व्याख्यानमाला के पांचवे दिन मुनि श्री सुधाकरजी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आवश्यक सूत्र का पांचवां अर्थाधिकार है कायोत्सर्ग। कायोत्सर्ग अध्यात्म साधना की आधारशिला है। जैन साधना पद्धति का अभिन्न अंग है। अनुयोगद्वार में इसे व्रण चिकित्सा कहा गया है। निरन्तर जागरूकता के अनन्तर बाद भी प्रमाद आदि के कारण साधना में दोष लग जाते हैं। उन दोष रूपी व्रणों को ठीक करने के लिए एक प्रकार का मरहम है- कायोत्सर्ग। चारित्र आदि अतिचार रूप व्रण की आलोचना आदि दस प्रकार के प्रायश्चित्त में चिकित्सा का साधन है- कायोत्सर्ग।
 मुनिश्री ने आगे कहा कि जैन साधना पद्धति में अद्भुत, मौलिक, विलक्षण एवं महत्त्वपूर्ण स्थान है कायोत्सर्ग का।कायोत्सर्ग केवल शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, अपितु अध्यात्म जागरण का महत्त्वपूर्ण सूत्र है। जिसने कायोत्सर्ग की मूल्यवत्ता को समझ लिया, उसने शाश्वत और अशाश्वत, चेतन और अचेतन, आत्मा और पुद्गल की भिन्नता को स्पष्ट जान लिया। ज्यों-ज्यों कायोत्सर्ग की सघनता बढ़ती है, त्यों-त्यों व्यक्ति काय-संवर में चला जाता है। कायोत्सर्ग की गहराई में जाने के बाद बाहर के परमाणु, भीतर प्रवेश नहीं कर सकते। मन और वाणी के परमाणुओं का ग्रहण काया के द्वारा होता है, पर काया की अस्पन्दन अवस्था में ये सब विलीन हो जाते हैं। सूक्ष्म शरीर के स्पन्दन दिखने लग जाते हैं। मन और प्राण की ऊर्जा भीतर की ओर बहने लगती है। अतिसूक्ष्म दशा में आभामण्डल का साक्षात्कार होने लगता है। अन्त में विदेहावस्था की स्थिति बन जाती है।
जीवन की यात्रा चलाने वाला, व्यवहार की भूमिका पर जीने वाला हर व्यक्ति समय-समय पर कायोत्सर्ग करता है। अध्यात्म की यात्रा करने वाले साधक के लिए तो इसके सिवाय और कोई विकल्प नहीं है। जो कायोत्सर्ग की सम्यक् आराधना नहीं करता, कायोत्सर्ग को अच्छी प्रकार से नहीं साधता, वह अध्यात्म के क्षेत्र में प्रगति नहीं कर सकता।
मुनि श्री नरेशकुमारजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। प्रबंध न्यासी घीसूलाल बोहरा ने बताया कि आज शनिवार साय: 7 से 8 बजे मुनिश्री सुधाकरजी के सान्निध्य मे पंच गंठी (गांठ) प्रबल पंचपरमेष्ठी आत्मरक्षा कवच महामंत्राधिराज नमस्कार महामंत्र पर आधारित दिव्य मंत्र एवं तंत्र का अनुष्ठान होगा। प्रवीण सुराणा ने बताया कि रविवार को "विध्न विनायक दुख हर्ता, सुख कर्ता" हम कैसे बने इस पर मुनिश्री का जय समवसरण माधावरम में प्रातः 9:30 बजे से 10:30 बजे तक विशेष प्रवचन रहेगा।
 

Leave a Comment

Latest Articles

विद्रोही आवाज़
hello विद्रोही आवाज़

Slot Gacor

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Pulsa

Slot Deposit Pulsa Tanpa Potongan

Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Situs Slot Gacor

Login Slot

Situs Slot Gacor