अमरोली पधारे शांतिदूत, आज कतारगाम में प्रवास संभावित
देश में आध्यात्मिक विकास हेतु गुरूदेव ने किया प्रेरित
अमरोलीअहिंसा यात्रा प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण जी अपनी धवल सेना साथ सूरत शहर में प्रतिदिन नित नवीन स्थानों पर पधार रहे है। आचार्यश्री के विचरण से सूरत का विशाल श्रावक श्राविका समाज लाभान्वित हो रहा है। अपने घर आंगन में आराध्य के चरण पगलिया प्राप्त कर मानों श्रद्धालुओं की चिरप्रतीक्षित मनोकामना पूर्ण हो रही है। प्रातः आचार्य श्री ने पर्वत पाटिया से मंगल विहार किया। पूर्व में इसी क्षेत्र से गुरूदेव ने अक्षय तृतीया हेतु सूरत शहर में प्रवेश किया था अब पुनः चातुर्मास संपन्नता पर गुरूदेव का यहां सान्निध्य प्राप्त हुआ। विहार के दौरान स्थानीय कुशल दर्शन दादाबाड़ी, बाड़मेर जैन श्री संघ के मंदिर परिसर में गुरुदेव पधारे एवं उपाश्रय में कुछ क्षण विराज कर मंगलपाठ प्रदान किया। सागर इंग्लिश स्कूल के विद्यार्थी इस दौरान सड़क के दोनों ओर पंक्तिबद्ध हो आचार्य श्री का अभिनंदन कर रहे थे। गुरुदेव ने उन्हें नशामुक्त जीवन जीने हेतु प्रेरित किया। मार्ग में मुनि हितेंद्र कुमार जी एवं साध्वी श्री चैतन्य यशा जी के संसारपक्षीय ज्ञातिजनों के निवास प्रांगण में भी गुरुदेव का पदार्पण हुआ। अरिहंत एकेडमी स्कूल प्रांगण में भी आचार्य श्री पधारे तत्पश्चात वराछा रोड स्थित तेरापंथ भवन में श्रावक समाज को आशीष प्रदान किया। गुरूदेव के शुभागमन पर श्रावक समाज का उत्साह हर्ष हिलोरें ले रहा था। तापी नदी पर बने ब्रिज को पार करते हुए पूज्य प्रवर अमरोली स्थित गौतमी कन्या विद्यालय में पधारे। आज का विहार लगभग 12 किमी रहा।
मंगल प्रवचन में आचार्य श्री ने कहा आज संविधान दिवस है। लगभग 75 वर्ष पूर्व भारत का संविधान बना। संविधान लोकतंत्र का व्यवस्थित रूप है व उसे व्यवस्थित करने की एक प्रक्रिया है। लोकतंत्र में एक सामान्य व्यक्ति भी देश का राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री बन सकता है, उसके लिए राजपरिवार से होना जरूरी नहीं होता। भारत देश स्वतंत्र हुआ,आजाद हुआ,संविधान बना और लागू भी हो गया। संविधान हर भारतीय के लिए समान रूप से लागू है। स्वतंत्रता का अर्थ मनमानी नहीं है। न्यायपालिका, विधायिका के साथ नियम-निष्ठा का भी महत्व है। देश के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है कि भौतिक, आर्थिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास भी हो।
स्वागत के क्रम में कैलाश, ओसवाल साजनान संघ से श्री देवेंद्र मांडोत,सुश्री महक कोठारी ने अपने विचार रखे। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाएं,महिला मंडल, कन्या मंडल एवं ज्ञानशाला के बच्चों ने अलग अलग सामूहिक प्रस्तुतियां दी।